शनिवार, 29 अगस्त 2020

मोहर्रम को लेकर नगर पंचायत सिमरीबख्तियारपुर में निकली एसपी के नेतृत्व में प्लेग मार्च


कोशी बिहार टुडे, सहरसा


मुहर्रम में लॉकडाउन का पालन करते हुए शांतिपूर्ण ढंग से पर्व मनाने को लेकर एसपी राकेश कुमार के नेतृत्व में शनिवार को फ्लैग मार्च निकाला गया.जो थाना परिसर से शुरू होकर नगर पंचायत स्थित ब्लॉक चौक , शर्मा चौक , मुख्य बाजार से होते स्टेशन चौक, मालगोदाम रोड, रानीबाग , रंगिनियां चौक, पहाड़पुर पहुंचा और पुनः एनएच होकर पुरानी बाजार होते थाना पर समाप्त हो गया.इस मौके पर एसपी राकेश कुमार ने कहा कि इसबार सरकार का निर्देश है कि ना तो कोई ताजिया निकलेगा एवं ना ही किसी भी तरह का जुलूस निकाला जाएगा. कोरोना को लेकर सभी लोगो की इस महामारी से खुद को बचाते हुए समाज को भी बचाना है।



वही एसडीओ वीरेंद्र कुमार ने कहा कि शांती भंग करने वालो को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जायेगा.वही डीएसपी मृदुला कुमारी ने कहा कि पर्व में गश्ती बढ़ा दी जाएगी.साथ ही किसी प्रकार की पर्व के दौरान कोई घटना घटती है तो इसकी सूचना तुरंत थाना को दें.ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके.उन्होंने कहा कि पर्व के दौरान किसी प्रकार का खलल डालने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा.फ्लैग मार्च में बीडीओ मनोज कुमार, सीओ कृष्ण कुमार सिंह  , सर्किल इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार, थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार, मो  हस्सान आलम, नगर पंचायत अध्यक्षा प्रतिनिधि मोजाहिर आलम, उपाध्यक्ष विकास कुमार सहित पुलिस बल मौजूद रहें।


10 करोड़ खर्च के बाद भी एक बूंद पानी नही निकला जल-मीनार से, पानी साफ करने वाले संयंत्र को खा रहा है जंग

गांव गांव में नल-जल चालू, जबकि शहर में पूरी तरह से फ्लॉप

कोशी बिहार टुडे



नगर पंचायत वासियो के लिये साफ पानी सपना ही बना है। 10 करोड़ खर्च के बाद भी नगर पंचयात के प्लस टू उच्च विद्यालय सिमरीबख्तियारपुर के पीछे हटिया गाछी में बना जलमीनार से नगर वासियो को काफी खुशी मिली थी कि अब नगर के लोगो को साफ पानी उपलब्ध होगा, लेकिन उद्घाटन के चार साल बाद भी जलमीनार से एक बूंद पानी भी नही निकला है। 

3 नबंवर 16 को हुआ था उदघाटन---

3 नबम्बर 2016 को तत्कालीन स्थानीय विधायक सह वर्तमान सासंद दिनेश चंद्र यादव, पूर्व विधयाक डॉ अरुण कुमार एवं तत्कालीन नगर अध्यक्ष सीमा कुमारी गुप्ता के द्वारा इस जलमीनार का उदघाटन किया था। उस समय जलमीनार को चलाने वाले एवं इनकी देखरेख करने वाले इंजीनियर के द्वारा बताया गया था कि एक महीने के अंदर नगर के लोगो को स्वच्छ पानी मिलना प्रारम्भ हो जाएगा। लेकिन एक महीने क्या चार साल बीत जाने के बाद एक बूंद पानी भी जलमीनार से नही निकल सका है। नगर पंचयात के 15 वार्ड में पानी सप्लाई किया जाना था, जिसमे एक मुख्य बाजार जबकि दूसरा रानीहाट के कोसी प्रोजेक्ट परिसर में प्लांट लगा है। 

नगर विकास विभाग ने नगर पंचायत सिमरी बख़्तियारपुर में शुद्ध पानी सप्लाई के लिये 8 करोड़ 19 लाख 30 हजार रुपए निर्गत किया था।



नालंदा इंडिकॉम प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर के द्वारा सिमरी बख़्तियारपुर का कार्य शुरू किया गया। गगनचुंबी टंकी, दो पम्प चेंबर एवं पाइप लाईन भी बिछ गया। आवश्यक स्थानों पर जल स्तंभ भी बनाया गया। कई जगह अभी तक जलस्तम्भ अभी तक पूरा नही हुआ है। लेकिन अभी तक शुद्ध पेयजल आपूर्ति संभव नहीं हो सकी है। नगर पंचायत सिमरी बख़्तियारपुर कार्यालय के द्वारा दिया जानकारी के अनुसार 19 जनवरी 15 को 3 करोड़ 68 लाख 30 हजार 600 रुपये, 28 सितंबर 16 को 2 करोड़ 15 लाख 30 हजार, एवं 31 मार्च 2016 को 2 करोड़ 36 लाख 600 रुपए कार्य के लिये नालंदा इंडिकॉम को दिया गया। कुल 8 करोड़ 19 लाख 30 हजार 600 रुपये दिया भुगतान कर दिया गया है। घर घर पानी का कनेक्शन देने के लिये विभाग ने लगभग 2 करोड़ रुपये राशि निर्गत भी  किया है

क्या कहते है कार्यपालक पदाधिकारी--

नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी कमलेश कुमार प्रसाद का कहना है कि बुडको के द्वारा नगर पंचयात को जलमीनार सुपुर्द नही किया गया है। जब तक बुडको नगर पंचायत को हस्तगत नही कराएगा, तब तक पानी सप्लाई संभव नही है। 

क्या कहते है बुडको के कार्यपालक अभियंता---

बुडको के कार्यपालक अभियंता अनिल शर्मा ने बताया कि मेरे द्वारा दो बार नगर पंचायत को पत्र दिया गया है कि आप अपने कार्यालय के नाम पर बिजली कनेक्शन लीजिये एवं नगर को पानी का सप्लाय चालू कीजिये, लेकिन आज तक नगर के द्वारा बिजली कनेक्शन नही लिया गया, जिन कारण पानी का सप्लाय बन्द है। 

बुधवार, 19 अगस्त 2020

धमारघाट रेल हादसा: 7 साल में सिर्फ एक फुट ओवरब्रिज एवं एक अर्धनिर्मित प्लेटफार्म बना,

 

19 अगस्त 13 को हुए राज्यरानी रेल हादसे देश के प्रमुख रेल-दुर्घटना में एक था

कोसी बिहार टुडे, सहरसा


आज ही के दिन 7 वर्ष पहले वो मनहूस दिन था, जब धमारा घाट स्टेशन पर एक साथ एक ही समय 28 लोगों राज्यरानी एक्सप्रेस ने गाजर-मूली की तरह काट दिया था।  घटना के बाद चीत्कार, गम और गुस्से में लोग थे। हर तरफ का माहौल गमगीन था। उस घटना को आज भी याद कर स्थानीय लोग सिहर जाते हैं। आखिर हो भी क्यों नहीं? एक साथ 28 श्रद्धालुओं की मौत के बाद धमारा घाट स्टेशन पर जमकर हंगामा हुआ था। आक्रोशित लोगों ने ट्रेनों में आग लगा दी थी। स्टेशन परिसर में लूटपाट की घटना हुई थी। हाल यह था कि कई घंटों तक स्टेशन असमाजिक तत्वों के कब्जे में रहा था। 

राज्यरानी की चपेट मे आने से हुई थी मौतें: 

 19 अगस्त 2013 का दिन बैरागन का था। मानसी-सहरसा रेलखंड के धमारा घाट स्टेशन पर एक पैसेंजर ट्रेन एक नंबर लाइन पर आकर रुकती है। जबकि दूसरी पैसेंजर ट्रेन तीसरे नंबर लाइन पर आकर रुकती है। मां कात्यायनी का बैरागन का दिन रहने के कारण हजारों की संख्या में श्रद्धालु ट्रेनों से उतर कर सीधे शक्तिपीठ स्थल माता कात्यायनी के मंदिर की ओर चल देते हैं। उसमें से कुछ लोग गाजे-बाजे के साथ जा रहे हैं। उसी वक्त 9 बजकर 52 मिनट पर सहरसा से पटना जाने वाली राज्यरानी एक्सप्रेस बीच वाली लाइन पर आती है। चूंकि राज्यरानी का धमारा घाट स्टेशन पर ठहराव नहीं है। इसी कारण ट्रेन थ्रू होकर बीच वाली लाइन से गुजरने वाली होती है। लेकिन पटरी से होकर यात्री व श्रद्धालु गुजर रहे थे। जबतक ड्राइवर इमरजेंसी ब्रेक लगा पाते तबतक ट्रेन की चपेट में आने से 28 श्रद्धालुओं की मौतें हो चुकी थी। इस घटना के बाद  स्टेशन पर जमकर हंगामा हुआ। स्टेशन कार्यालय में तोड़फोड़ हुआ। आक्रोशित लोगों ने ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया। चारों ओर कोहराम मच गया। मरने वालों में ज्यादातर लोग चौथम, मानसी और खगड़िया प्रखंड के थे। वहीं दो-दो मृतक बेगूसराय और समस्तीपुर के थे। इसके बाद मरने वालों के परिजनों को रेलवे में पांच-पांच और राज्य सरकार ने दो-दो लाख रुपये दिया। घटना के बाद रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी भी धमारा घाट पहुंचे थे। 


खुब हुआ हंगामा, लेकिन नहीं बन सकी सड़क---

धमारा घाट हादसे के बाद जमकर हंगामा हुआ। भूख हड़ताल ओर लोक गायक छैला बिहारी से लेकर युवा शक्ति के प्रदेश अध्यक्ष नागेंद्र सिंह त्यागी बैठे। इधर स्टेशन से मां कात्यायनी मंदिर तक सड़क निर्माण भी श्रमदान से शुरू हुआ। लेकिन आजतक सड़क नहीं बन सकी है। मुख्यमंत्री सड़क निर्माण से मंदिर तक सड़क का निर्माण हो रहा है। जो आज तक पूरा नहीं हो सका है। अभी बाढ़ के दिनों में एक बार फिर पटरी से होकर यात्री व श्रद्धालु गुजरने को मजबूर हैं। जबकि धमारा घाट स्टेशन का भी सौन्द्रीयकरन का कार्य नहीं हो सका है। बस एकमात्र फुट ओवर ब्रिज बन सका है। घटना के 7 साल बीत जाने के बाद भी धमारा घाट स्टेशन का कायाकल्प नही हो सका है। 

पूर्व विधायक के प्रयास से हजारों हेक्टर खेत में जमा पानी से किसान को मिलेगी मुक्ति

  कोपरिया स्लुइस गेट का जलकुंभी साफ करने के लिए निजी कोष से दिया गया धन  सिमरी बख्तियारपुर से पानी की बिक्री ही नहीं बल्कि महिषी खंड के लोगो...