19 अगस्त 13 को हुए राज्यरानी रेल हादसे देश के प्रमुख रेल-दुर्घटना में एक था
कोसी बिहार टुडे, सहरसा
आज ही के दिन 7 वर्ष पहले वो मनहूस दिन था, जब धमारा घाट स्टेशन पर एक साथ एक ही समय 28 लोगों राज्यरानी एक्सप्रेस ने गाजर-मूली की तरह काट दिया था। घटना के बाद चीत्कार, गम और गुस्से में लोग थे। हर तरफ का माहौल गमगीन था। उस घटना को आज भी याद कर स्थानीय लोग सिहर जाते हैं। आखिर हो भी क्यों नहीं? एक साथ 28 श्रद्धालुओं की मौत के बाद धमारा घाट स्टेशन पर जमकर हंगामा हुआ था। आक्रोशित लोगों ने ट्रेनों में आग लगा दी थी। स्टेशन परिसर में लूटपाट की घटना हुई थी। हाल यह था कि कई घंटों तक स्टेशन असमाजिक तत्वों के कब्जे में रहा था।
राज्यरानी की चपेट मे आने से हुई थी मौतें:
19 अगस्त 2013 का दिन बैरागन का था। मानसी-सहरसा रेलखंड के धमारा घाट स्टेशन पर एक पैसेंजर ट्रेन एक नंबर लाइन पर आकर रुकती है। जबकि दूसरी पैसेंजर ट्रेन तीसरे नंबर लाइन पर आकर रुकती है। मां कात्यायनी का बैरागन का दिन रहने के कारण हजारों की संख्या में श्रद्धालु ट्रेनों से उतर कर सीधे शक्तिपीठ स्थल माता कात्यायनी के मंदिर की ओर चल देते हैं। उसमें से कुछ लोग गाजे-बाजे के साथ जा रहे हैं। उसी वक्त 9 बजकर 52 मिनट पर सहरसा से पटना जाने वाली राज्यरानी एक्सप्रेस बीच वाली लाइन पर आती है। चूंकि राज्यरानी का धमारा घाट स्टेशन पर ठहराव नहीं है। इसी कारण ट्रेन थ्रू होकर बीच वाली लाइन से गुजरने वाली होती है। लेकिन पटरी से होकर यात्री व श्रद्धालु गुजर रहे थे। जबतक ड्राइवर इमरजेंसी ब्रेक लगा पाते तबतक ट्रेन की चपेट में आने से 28 श्रद्धालुओं की मौतें हो चुकी थी। इस घटना के बाद स्टेशन पर जमकर हंगामा हुआ। स्टेशन कार्यालय में तोड़फोड़ हुआ। आक्रोशित लोगों ने ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया। चारों ओर कोहराम मच गया। मरने वालों में ज्यादातर लोग चौथम, मानसी और खगड़िया प्रखंड के थे। वहीं दो-दो मृतक बेगूसराय और समस्तीपुर के थे। इसके बाद मरने वालों के परिजनों को रेलवे में पांच-पांच और राज्य सरकार ने दो-दो लाख रुपये दिया। घटना के बाद रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी भी धमारा घाट पहुंचे थे।
खुब हुआ हंगामा, लेकिन नहीं बन सकी सड़क---
धमारा घाट हादसे के बाद जमकर हंगामा हुआ। भूख हड़ताल ओर लोक गायक छैला बिहारी से लेकर युवा शक्ति के प्रदेश अध्यक्ष नागेंद्र सिंह त्यागी बैठे। इधर स्टेशन से मां कात्यायनी मंदिर तक सड़क निर्माण भी श्रमदान से शुरू हुआ। लेकिन आजतक सड़क नहीं बन सकी है। मुख्यमंत्री सड़क निर्माण से मंदिर तक सड़क का निर्माण हो रहा है। जो आज तक पूरा नहीं हो सका है। अभी बाढ़ के दिनों में एक बार फिर पटरी से होकर यात्री व श्रद्धालु गुजरने को मजबूर हैं। जबकि धमारा घाट स्टेशन का भी सौन्द्रीयकरन का कार्य नहीं हो सका है। बस एकमात्र फुट ओवर ब्रिज बन सका है। घटना के 7 साल बीत जाने के बाद भी धमारा घाट स्टेशन का कायाकल्प नही हो सका है।
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