प्रितयक्त रेलवे पुल से गिरा बाईक सवार, दो लापता
बच्चा बाल बाल बच्चा,
घटना सहरसा मानसी रेलखंड के फेनगो के पास
महेंद्र प्रसाद, सहरसा
सहरसा मानसी रेलखंड के कोपरिया एवं धमराघाट स्टेशन के बीच कोसी नदी में बने रिटायर रेलवे पुल नंबर 47 से गुरुवार को एक बाईक सवार नदी में जा गिरा। बाइक पर सवार दो लोग कोसी की धारा में बह गया। जबकि एक एक दस वर्षीय बच्चे को नाविकों द्वारा बचा लेने की सूचना है। सरसवा गांव निवासी मो इस्लाम का पुत्र 22 वर्षीय मो तौफिक और गोगरी थाना क्षेत्र के रामपुर गांव निवासी नईम उद्दीन का 38 वर्षीय मो शमसाद लापता बताया जा रहा है। वहीं लापता मो शमशाद का 10 वर्षीय पुत्र मो एकलाख को बचा लिया गया है। इधर सूचना मिलने पर मानसी पुलिस मौके पर पहुंचकर लापता लोगों को खोजने में जुट गई। जानकारी के अनुसार बाईक पर सवार होकर तीनों लोग सरसवा गुलरिया टोला से मो तौफिक अपने भानजे मो एकलाख को स्कूल पहुंचाने के लिए अपने जीजा के साथ मो शमशाद के साथ सिमरी बख्तियारपुर जा रहे थे। बताया जाता है कि इसी दौरान कोसी नदी पर बने रेलवे का परितयक्त पुल नंबर 47 को पार करना था। बताया जा रहा है कि पुल को पार करने के दौरान बच्चे को बाईक पर बैठाकर पार कर रहे थे। इसी दौरान बाईक अन्बैंलेंस हो जाने के कारण बाईक कोसी नदी में जा गिरा। इसी बीच बचाने के क्रम में दूसरा युवक भी कोसी नदी में गिर गया। इस घटा में दोनों युवक कोसी की तेज धारा में बह गया है। वहीं बच्चे को नाविकों द्वारा बचा लिया गया। इधर घटना की सूचना मिलते ही सरसवा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि फोटो यादव सहित लोगों की भीड़ पुल पर जुटने लग गई। मानसी पुलिस भी मौके पर पहुंचकर लापता को खोजने में जुटी हुई है।
जाके राखें साईयां मार सके ना कोय
चौथम। एक प्रतिनिधि
कहा जाता है कि जाके राखे सांईया मार सके ना कोय। तभी तो गुरुवार को मानसी थाना क्षेत्र अंतर्गत कोसी नदी पर बने रिटायर रेलवे पुल से बाईक पर सवार तीन लोंगों कोसी नदी में जा गिरे। जिसमें दो युवक लापता हो गये हैं। जबकि एक दस वर्ष का बालक बच गया। आखिर हो भी क्यों नहीं? जब इस घटना में एक गोगरी थाना क्षेत्र के रामपुर गांव निवासी मो शमसाद और सरसवा गांव निवासी मो तौफिक अब भी लापता है। वहीं घटना के बाद मो एकलाख जब पानी में डुब रहा था। इसी दौरान नाविकों की नजर उस पर पड़ी। इसके बाद नाविकों ने मिलकर बालक को बचा लिया। हालांकि बालक पानी भी पी लिया था। लेकिन उन्हें बचा लिया गया है। अभी बच्चा पूरी तरह खतरा से बाहर बताया जा रहा है। इधर घटनाक े बाद से ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। लापता को खोजने के लिए काफी संख्या में भीड़ जुटी हुई है। लेकिन नदी में पनी अथाहह रहने के कारण खोजने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
पुल होता तो नहीं होता हादसा
बदला घाट- कोपरिया अगर सड़क बनी रहती और पुल रहता तो शायद यह हादसा नहीं होता। उल्लेखनीय है कि गुरुवार को रेलवे का परितयक्त पुल नंबर 47 से गिरकर दो बाईक सवार लापता हो गये जबकि एक बच्चे की जान बच गई है। बता दें कि चौथम प्रखंड के दियारा इलाके में आज भी कोई सीणी सड़क नहीं है। एक मात्र रेलवे ही आवागमन का साधन है। तभी तो अब भी अंग्रेजों के बने रिटायर रेलवे पुल से लोग यात्रा करते हैं। बता दें कि बदला घाट से फेनगो हॉल्ट के बीच सड़क और पुल की मांग वर्षों से की जा रही है। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। पसड़क और पुल के लिए कई बार आंदोलन भी हुए। लेकिन कुछ नहीं हुआ। कात्यायनी मिंइर से सटे रिटयार रेलवे पुल नंबर 49 से गिरकर तो आधा दर्जन से अधिक लोगों की जानें जा चुकी है। इसके बाद भी प्रशासन एवं सरकार का कोई ध्यान नहीं है। ऐसे में अब भी दियारा के लोगों भगवान भरोसे अपनी यात्रा करते हैं। सड़क और पुल को लेकर आष्वासनों का दौर वर्षों से चल रहा है।
बच्चा बाल बाल बच्चा,
घटना सहरसा मानसी रेलखंड के फेनगो के पास
महेंद्र प्रसाद, सहरसा
सहरसा मानसी रेलखंड के कोपरिया एवं धमराघाट स्टेशन के बीच कोसी नदी में बने रिटायर रेलवे पुल नंबर 47 से गुरुवार को एक बाईक सवार नदी में जा गिरा। बाइक पर सवार दो लोग कोसी की धारा में बह गया। जबकि एक एक दस वर्षीय बच्चे को नाविकों द्वारा बचा लेने की सूचना है। सरसवा गांव निवासी मो इस्लाम का पुत्र 22 वर्षीय मो तौफिक और गोगरी थाना क्षेत्र के रामपुर गांव निवासी नईम उद्दीन का 38 वर्षीय मो शमसाद लापता बताया जा रहा है। वहीं लापता मो शमशाद का 10 वर्षीय पुत्र मो एकलाख को बचा लिया गया है। इधर सूचना मिलने पर मानसी पुलिस मौके पर पहुंचकर लापता लोगों को खोजने में जुट गई। जानकारी के अनुसार बाईक पर सवार होकर तीनों लोग सरसवा गुलरिया टोला से मो तौफिक अपने भानजे मो एकलाख को स्कूल पहुंचाने के लिए अपने जीजा के साथ मो शमशाद के साथ सिमरी बख्तियारपुर जा रहे थे। बताया जाता है कि इसी दौरान कोसी नदी पर बने रेलवे का परितयक्त पुल नंबर 47 को पार करना था। बताया जा रहा है कि पुल को पार करने के दौरान बच्चे को बाईक पर बैठाकर पार कर रहे थे। इसी दौरान बाईक अन्बैंलेंस हो जाने के कारण बाईक कोसी नदी में जा गिरा। इसी बीच बचाने के क्रम में दूसरा युवक भी कोसी नदी में गिर गया। इस घटा में दोनों युवक कोसी की तेज धारा में बह गया है। वहीं बच्चे को नाविकों द्वारा बचा लिया गया। इधर घटना की सूचना मिलते ही सरसवा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि फोटो यादव सहित लोगों की भीड़ पुल पर जुटने लग गई। मानसी पुलिस भी मौके पर पहुंचकर लापता को खोजने में जुटी हुई है।
जाके राखें साईयां मार सके ना कोय
चौथम। एक प्रतिनिधि
कहा जाता है कि जाके राखे सांईया मार सके ना कोय। तभी तो गुरुवार को मानसी थाना क्षेत्र अंतर्गत कोसी नदी पर बने रिटायर रेलवे पुल से बाईक पर सवार तीन लोंगों कोसी नदी में जा गिरे। जिसमें दो युवक लापता हो गये हैं। जबकि एक दस वर्ष का बालक बच गया। आखिर हो भी क्यों नहीं? जब इस घटना में एक गोगरी थाना क्षेत्र के रामपुर गांव निवासी मो शमसाद और सरसवा गांव निवासी मो तौफिक अब भी लापता है। वहीं घटना के बाद मो एकलाख जब पानी में डुब रहा था। इसी दौरान नाविकों की नजर उस पर पड़ी। इसके बाद नाविकों ने मिलकर बालक को बचा लिया। हालांकि बालक पानी भी पी लिया था। लेकिन उन्हें बचा लिया गया है। अभी बच्चा पूरी तरह खतरा से बाहर बताया जा रहा है। इधर घटनाक े बाद से ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। लापता को खोजने के लिए काफी संख्या में भीड़ जुटी हुई है। लेकिन नदी में पनी अथाहह रहने के कारण खोजने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
पुल होता तो नहीं होता हादसा
बदला घाट- कोपरिया अगर सड़क बनी रहती और पुल रहता तो शायद यह हादसा नहीं होता। उल्लेखनीय है कि गुरुवार को रेलवे का परितयक्त पुल नंबर 47 से गिरकर दो बाईक सवार लापता हो गये जबकि एक बच्चे की जान बच गई है। बता दें कि चौथम प्रखंड के दियारा इलाके में आज भी कोई सीणी सड़क नहीं है। एक मात्र रेलवे ही आवागमन का साधन है। तभी तो अब भी अंग्रेजों के बने रिटायर रेलवे पुल से लोग यात्रा करते हैं। बता दें कि बदला घाट से फेनगो हॉल्ट के बीच सड़क और पुल की मांग वर्षों से की जा रही है। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। पसड़क और पुल के लिए कई बार आंदोलन भी हुए। लेकिन कुछ नहीं हुआ। कात्यायनी मिंइर से सटे रिटयार रेलवे पुल नंबर 49 से गिरकर तो आधा दर्जन से अधिक लोगों की जानें जा चुकी है। इसके बाद भी प्रशासन एवं सरकार का कोई ध्यान नहीं है। ऐसे में अब भी दियारा के लोगों भगवान भरोसे अपनी यात्रा करते हैं। सड़क और पुल को लेकर आष्वासनों का दौर वर्षों से चल रहा है।
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