शहीद को छोड़कर महिषी में सांस्कृतिक कार्यक्रम का लुत्फ उठाते रहे जिले के अधिकारी
शहीद के पिता ने प्रशासन के रवैया पर जताया आक्रोश
आपदा मंत्री दिनेश चंद्र यादव सरोजा पहुच शहीद को दिया श्रंद्धाजलि
कोशी बिहार टुडे, सहरसा
शनिवार को जैसे ही रात्रि के लगभग साढ़े 8 बजे शहीद आशीष कुमार सिंह का शव उनके पैतृक गांव सरोजा पहुचा की इलाके का लोग शहीद के एक झलक पाने के लिये उमड़ पड़ा। हर कोई मृतक के परिजन को बेटे की बहादुरी की तारीफ करते रहे एव मृतक के परिजन को ढांढस बढ़ाते रहे। ग्रामीण शैलेन्द्र सिंह, जयशंकर सिंह, मुरारी सिंह, भाजपा नेता अरविंद सिंह, सहित कई लोगो ने शहीद को श्रंद्धाजलि दिया।
मंत्री ने पहुच कर दिया श्रंद्धाजलि-----
पसराहा थानाध्यक्ष आशीष कुमार सिंह के शहीद होने की सूचना पर बिहार सरकार के लघु सिंचाई एव आपदा मंत्री दिनेश चंद्र यादव ने सरोजा पहुच परिजन को सांत्वना दिया। मंत्री दिनेश चंद्र यादव ने कहा कि शहीद आशीष कुमार सिंह अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान थे। इनके परिवार के प्रति पूरी संवेदना है। शहीद आशीष कुमार सिंह ने जो जाबांजो का कार्य किया पूरे इलाका के लोगो को गर्व है। हम उनके बहादुरी को सलाम करते है। शहीद से मेरा पारिवारिक रिश्ता था। नोकरी के पहले से ही जानते थे। नोकरी होने के बाद जब पसराहा के थानाध्यक्ष बने तो उस इलाके के अपराधी डर से काँपते थे। सरकार शहीद को नियमानुसार जो उचित मुआबजा होगा दिया जायेगा। मंत्री के साथ पूर्व विधयाक डॉ अरुण कुमार, संजीव झा के अलावा कई लोगो ने श्रधांजलि दिया।
थानाध्यक्ष आशीष कुमार सिंह के शहीद होने से पूरा अनुमंडल रो रहा है। शनिवार को शहीद का पार्थिव शरीर के आने की जानकारी के बाद लगभग 100 युवा बाइक से तिरंगा लिये पहाड़पुर बाजार से अगवानी करने पहुचे। सभी युवा जब तक सूरज चांद रहेगा, आशीष तेरा नाम नाम रहेगा नारो से इलाका गूंज गया। पार्थिव शरीर के साथ लगभग एक गाड़ियों का काफिला शाहिद थानाध्यक्ष के घर तक साथ रहा।
7 वर्षीय बेटे ने दिया मुखाग्नि----
शहीद आशीष कुमार सिंह के 7 वर्षीय पुत्र सौर्यमान ने पिता को मुखाग्नि दिया। जिस समय शहीद को उनके मासूम बेटा मुखाग्नि दी रहा था उपस्थित लोगों की आंखे नम हो गया। हर लोग शहीद की मौत पर आंसू बहा रहा था। पत्नी सरिता सिंह, पिता गोपाल सिंह, मा रुक्मिणी देवी सहित परिजन का रोरोकर बुरा हाल था।
डीएसपी, थानाध्यक्ष के अलावा अन्य पदाधिकारी के नही पहुचने से आक्रोशित थे परिजन---
शहीद के पिता गोपाल सिंह ने कहा कि मेरे बेटे ने फर्ज पर कुर्बान हो गया। लेकिन सिमरी डीएसपी मृदुला कुमारी, थानाध्यक्ष रणवीर कुमार के अलावा जिले के आला अधिकारी डीएम, एसपी, सिमरी एसडीओ, बीडीओ सहित अन्य प्रशासन ने शहीद को एक श्रधांजलि देने तक मुनासिब नही समझा। हालॉकि दिन के लगभग 1 बजे जब शहीद का दाह संस्कार हो गया तब एसडीओ अरविंद कुमार, सीओ चंद्रदेव चौधरी, चिकिस्ता प्रभारी एन के सिंह शहीद के परिजन से मिलने उनके घर गया।
अपराधी के गोली से शहीद होने वाले सिमरी बख्तियारपुर के दूसरे पुलिस पदाधिकारी है आशीष कुमार सिंह----
सहरसा में अपराधियों के गोली से शहीद हुई आशीष कुमार सिंह अनुमंडल के दूसरे पुलिस पदाधिकारी है। इससे पहले 7 दिसंबर 1998 को सहरसा डीएसपी सतपाल सिंह को भी अपराधियो ने गोली मारकर हत्या कर दिया था।
घटना के संबंध में बताया गया कि शुक्रवार की देर रात पसराहा पुलिस को यह सूचना मिली कि सलारपुर दियारा में खगड़िया एवं नौगछिया इलाके के अपराधियों का जमावड़ा हो रहा है। इसके बाद थानाध्यक्ष आशीष कुमार सदलबल के साथ दियारा की और कूच कर गए। इधर पुलिस को आते देख डकैतों ने तावड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने भी गोली चलानी शुरू कर दी।इस हादसे में थानाध्यक्ष आशीष शहीद हो गए।
मालूम हो कि 2009 बैच के दारोगा आशीष कुमार 2016 में खगड़िया के मुफस्सिल थाना भदास क्षेत्र में अपराधियों से मुठभेड़ में घुटना में गोली लगने से घायल हुए थे।
7 दिसंबर 1998 को डीएसपी सतपाल सिंह की भी अपराधियो ने कर दिया था हत्या----
7 दिसम्बर 1998 को तत्कालीन डीएसपी सतपाल सिंह को देर शाम गुप्त सूचना मिली थी कि सलखुआ थानाक्षेत्र के नोनहा चमराही टोला स्थित दो मंजिला पक्के छतदार बासा पर कुख्यात अपराधकर्मी घातक हथियारों से लैस होकर छिपे हैं. इसी सूचना पर सुरक्षाबलों के साथ रात्रि में ही डीएसपी पहुंचे और वहां घेराबंदी की. साढ़े छह बजे सुबह डीएसपी द्वारा मकान का निचला दरवाजा खुलवाने का प्रयास कर अपराधियों को आत्मसमर्पण करने को कहा गया. इतने में ही छत पर मौजूद अपराधियों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी थी. डीएसपी ने भी अपनी सरकारी पिस्तौल से जबावी फायरिंग व सुरक्षाबलों को भी गोली चलाने का आदेश दिया था. इसी दौरान अपराधियों की एक गोली हवलदार गणेश रजक को लगी और वह जख्मी हो गया. तब डीएसपी श्री सिंह पक्का मकान से बगल के खपरैल मकान में पहुंचे और अपराधियों को ललकारते हुए जबावी फायरिंग करते रहे. इसी दौरान एक गोली डीएसपी को भी लगी और उनकी मौत हो गयी. अपराधियों की गोली से अनि रामप्रवेश सिंह भी घायल हुये थे. वहीं इस घटना के मुख्य आरोपी जाहिद उर्फ कमांडो को सहरसा न्यायालय द्वारा 31 मार्च 2010 को फांसी की सजा सुनायी गयी थी. जिसे उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया।
निर्लज्जता की सीमाओं को पार कर दिया लोकल आला अधिकारी और बिहार के मुखिया और उपमुखिया
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