शनिवार, 20 अक्तूबर 2018

आर्केष्ट्रा पर भारी पड़ा गांव की नाच, ग्रामीण महिला की उमड़ी भीड़, लोगो ने कहा कार्यक्रम ऐसा हों की महिला-पुरुष दोनों देखे

आज भी ग्रामीण इलाके में नाच  कार्यक्रम को पसंद करते है लोग
कोशी बिहार टुडे, सहरसा

आज डिजिटल दुनिया मे जहा लोग बड़े स्टेज का प्रोग्राम कराते है वही आज भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगो की पहली पसंद लोकगाथा ही है। आज भी ग्रामीण ग्रामीण इलाके के चर्चित नाच को जिंदा रखे है। इसका भी अपना क्षेत्र में अच्छा-खासा श्रोता है। गांव की लोंडा नाच आज भी ग्रामीण इलाके में अपना स्थान बनाये है। इस नाच के माध्यम से नाटक का मंचन करते है। जिसमे अल्हा-रूदल, राजा हरिश्चंद्र, रामायण आदि का मंचन करते है। सबसे बड़ी बात यह है कि इनलोगो को आज की आर्केष्ट्रा पसंद नही है। किसी खास मोके पर इस तरह का आयोजन किया जाता है एव लोग बड़ा मग्न होकर नाच कार्यक्रम का लुत्फ उठाते है। सबसे बड़ी बात ये है कि आर्केस्ट्रा जहा बहुत ज्यादा महंगा है तो वही नाच सबसे सस्ता एव ज्ञानवर्धक है। 
रेलवे स्टेशन दुर्गा मंदिर में हर वर्ष होता है प्रोग्राम---


हर वर्ष गांव से मेला देखने आने वाले महिला-पुरुष जो दूरदराज गांव से आता है उनके लिये रेलवे परिसर एव प्रतीक्षालय बड़ा आशियाना बनता है। रेलवे इसी ग्रामीणों का ध्यान में रखकर नाच का कार्यक्रम का आयोजन करता है ताकि गांव से मेला आने वाले लोगो का रातभर मनोरंजन किया जा सके। मेले की रौनक भी बढ़ाती है एव दूरदराज के लोगो को रुकने का एक माध्यम भी बन जाता है। रेलवे मेला कमिटी के सचिव विकास कुमार ने बताया कि हर वर्ष रेलवे ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोगो का ठहराव के साथ मनोरंजन के लिये रेल एव स्थानीय लोगो की मदद से कार्यक्रम संपन्न होता है। 

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