सोमवार, 26 नवंबर 2018

सुपौल-अररिया होते गलगलिया तक 1600 करोड रुपये से नई रेल परियोजना को मंजूरी, नेपाल के सीमा से होकर गुजरेगी नई रेल लाइन


राष्टीय सुरक्षा परियोजना के तहत इस रेल परियोजना में शामिल किया गया

इस नये रेल लाइन में 12 नए स्टेशन बनेगा

कोशी बिहार टुडे, सहरसा


 मंत्रालय ने सुपौल-अररिया (गलगलिया तक) प्रस्तावित नई रेललाइन प्रोजेक्ट को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा परियोजना में शामिल किया है। लगभग 95 कि.मी. सुपौल-अररिया नई रेललाइन नेपाल की सीमा के समानांतर गुजरेगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने 1600 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। राष्ट्रीय सुरक्षा परियोजना के कारण इसका निर्माण तेजी से होगा। यह रेललाइन आगे जाकर पहले से स्वीकृत अररिया-गलगलिया रेललाइन से जुड़ेगी। इससे बिहार का पश्चिम बंगाल से जुड़ाव का सीधा रास्ता खुल जाएगा। नई रेललाइन में 12 नए स्टेशन बनेंगे। पुरानी परियोजना के लिए सरकार पहले ही 540 करोड़ पहले ही मंजूर कर चुकी है।
उल्लेखनीय है कि सुपौल-सहरसा ब्रॉडगेज कंर्वेशन रेललाइन का काम अभी चल रहा है। इस नई रेललाइन के बनने से सहरसा से इससे जुड़ जाएगा। कोसी क्षेत्र के लिए सुपौल से अररिया होते गलगलिया नयी रेललाइन न सिर्फ सामरिक दृष्टि से महत्वपूूर्ण होगा बल्कि यह नयी रेललाइन कोसी के विकास के लिए एक और लाइफलाइन साबित होने जा रहा है। रेल मंत्रालय द्वारा इस परियोजना को राष्ट्रीय सुरक्षा में शामिल करने के बाद यह रेल और रक्षा मंत्रालय की प्राथमिकता सूची में आ गयी है।
सहरसा-सुपौल जुड़ा इन सड़क और रेल मार्गों से : 1. कोसी नदी में सरायगढ़ के समीप महासेतु और फोर लेन का निर्माण। 2. रीलिजिएस कोरिडोर परियोजना के तहत मधुबनी-सहरसा बनेगी नई सड़क, बकौर के समीप कोसी में बनेगा एक और महासेतु । 3. कोसी नदी में महिषी के बलुआहा में पुल बनने के बाद दरभंगा से हो गया सीधा सड़क संपर्क । 4. मानसी – सहरसा रेललाइन थी कोसी की पहली लाइफ लाइन। 5. डुमरी घाट पर बने पुल के रास्ते कोसी का पहला सड़क मार्ग था प्रवेश द्वार ।6. विजय घाट में कोसी नदी पर पुल निर्माण के बाद अंग से सीधा बना सड़क संपर्क ।  7. सहरसा- पूर्णिया एनएच 107 के जरिए सीमांचल से पहले से है सीधा सड़क संपर्क हो जाएगा। 8. सहरसा- फारबिसगंज पुरानी रेल लाइन से होगा संपर्क 9. अब नयी लाइफलाइन होगी सुपौल -अररिया-गलगलिया रेल मार्ग । सुपौल-अररिया रेललाइन को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानते हुए केंद्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा परियोजना में शामिल किया है, रेललाइन अररिया-गलगलिया लाइन में जुड़ेगी, तेजी से पूरा होगा निर्माण कार्य ।
95 किमी सुपौल-अररिया रेललाइन का जुड़ाव होगा--
सुपौल-अररिया नई रेललाइन पहले से स्वीकृत अररिया-गलगलिया से जुड़ जाएगी। हालांकि स्वीकृत पुरानी रेल परियोजना का काम भी अभी प्रारंभिक स्तर पर ही है। सामरिक महत्व के कारण इस रेललाइन का काम काफी तेजी से होगा। 12 नए रेलवे स्टेशन बनेंगे : सुपौल से अररिया के बीच 12 रेल स्टेशन बनेंगे। अररिया के बाद मिर्जापुर, बसेटी, रानीगंज, भरगामा, मानुल्लाह पट्‌टी, खजुरी बाजार, बाघहिली, जदिया, लक्ष्मीपुर, त्रिवेणीगंज, पिपरा, धुमिहा।
नेपाल सीमा के बगल से गुजरेगा ट्रैक : नेपाल के साथ चीन की खुली सीमा रहने से उत्तर बिहार की 750 किमी की सीमा सामरिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। सुरक्षा की दृष्टि से गलगलिया से सुपौल व फारबिसगंज से सकरी जाने वाली रेललाइन महत्वपूर्ण है। ये रेललाइन सरायगढ़ के समीप स्थित कोसी महासेतू के बगल में बने रेल सेतु से गुजरेगी। शिलान्यास पूर्व पीएम बाजपेयी ने किया था। ऊर्जा मंत्री के पत्र और वित्तमंत्री के साथ हुई कई दौर की वार्ता के बाद परियोजना को मंजूरी मिली।

सुपौल-अररिया रेल लाइन का हो रहा भूमि अधिग्रहण : 95 कि.मी. लंबी सुपौल-अररिया नयी रेललाइन के लिए भूमि अधिग्रहण का काम जारी है। उर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने बताया कि विशेष अभियान चलाकर भूमि अधिग्रहण का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चूंकि सामरिक दृष्टि से इस परियोजना को केन्द्र की सरकार ने उनके प्रस्ताव पर काफी महत्वपूर्ण माना है। ऐसे में इसमें वित्तीय समस्या नहीं आएगी। सुपौल-अररिया नयी रेललाइन की स्वीकृति में महती भूमिका निभाने वाले राज्य के उर्जा एवं वाणिज्य मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने डेढ़ वर्ष पहले ही देश के वित्त एवं रक्षा मंत्री अरूण जेटली से इसकी पहल की थी। पिछले वर्ष जीएसटी कॉउंसिलिंग की बैठक में भाग लेने पहुंचे विजेंद्र यादव ने उन्हें इसके सामरिक महत्व के बारे में बताया था।
सुपौल-अररिया नई रेललाइन के लिए 11 मौजे की अधिसूचना प्रकाशित हो चुकी है। 11 अन्य मौजे की अधिसूचना प्रक्रिया में है। एक सप्ताह में यह प्रकाशित हो जाएगा। अधिसूचना प्रकाशित कर दावा-आपत्ति का निराकरण किया जाएगा। फरवरी तक अधिग्रहण शुरु करने का लक्ष्य रखा गया ।

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