अनुमंडल क्षेत्र के लोगो ने उपराष्ट्रपति से सम्मान मिलने पर जताया खुशी
कोशी बिहार टुडे, सहरसा
सहरसा जिले के बनमा ईटहरी प्रखंड निवासी प्रख्यात विद्वान डा अब्दुस सलाम जीलानी को गुरूवार को उपराष्ट्रपति एमवेंकैयानायडू ने नई दिल्ली में आयोजित विद्वानों की सम्मान समारोह में सम्मान प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया। जिसमें उपराष्ट्रपति ने संस्कृत, पाली, प्राकृति, अरबी, फारसी सहित उड़िया, मलयालम, कन्नड़, तेलुगू भारतीय भाषाओं के प्रख्यात देश भर के कई विद्वानों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
सम्मान प्राप्त करने वालों में प्रख्यात विद्वान डा अब्दुस सलाम जीलानी को सम्मानित किये जाने की खबर उनके पेतृक गांव जिले के बनमा ईटहरी में फैलते ही परिवार वालों सहित पूरा क्षेत्र खुशी के माहौल से झूम उठा। उन्होंने यह सम्मान पाकड़ पेतृक गांव ही नहीं पूरे जिला का नाम रौशन करते हुए गर्भ से झोली भर दिया है। परिवार वालों में काफी उत्साह का माहौल है।
विद्वान श्री जीलानी मुख्य रूप से वर्तमान में अलीगढ़ में अपने परिवार के साथ रहते हैं। इनका जन्म 3 जनवरी 1974 को हुआ था। पिता का नाम मुफ्ती अब्दुल कुद्दुस है। उन्होंने प्रथम श्रेणी से एमए (फारसी) परीक्षा पास किया। जिसमें उनको उमर खैयाम स्वर्णपदक से भी सम्मानित किया गया। वहीं इसके बाद फारसी भाषा में पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की। उन्होंने मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद से एमए (इतिहास) से डिग्री प्राप्त की। इसके अलावा उन्होंने रचनाओं में 5 पुस्तकें और 19 शोषलेख किया है। जिसमें मध्यकालीध भारतीय इतिहास के विद्वानों के बीच शास्त्रीय फारसी को लोकप्रिय बनाने में फारसी में उत्कृष्ट योगदान दिया। सबसे खास बात है कि उन्होंने विदेश मंत्रालय भारत सरकार की एक योजना के अंतर्गत 'उच्बेक साहित्य का दस्तावेजीकरण' नामक परियोजना में 200 फारसी पांडुलिपियों को प्रकाश में लाने का कार्य किया है।
लोगों ने व्यक्त किया खुशी :-
खुशी व्यक्त करने वालो में पिता मुफ्ती अब्दुल कुद्दुस सहित मसुद आलम, फैज अहमद, शाहिद साहब, अहसनुज्जमां व अन्य लोग शामिल है।
कोशी बिहार टुडे, सहरसा
सहरसा जिले के बनमा ईटहरी प्रखंड निवासी प्रख्यात विद्वान डा अब्दुस सलाम जीलानी को गुरूवार को उपराष्ट्रपति एमवेंकैयानायडू ने नई दिल्ली में आयोजित विद्वानों की सम्मान समारोह में सम्मान प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया। जिसमें उपराष्ट्रपति ने संस्कृत, पाली, प्राकृति, अरबी, फारसी सहित उड़िया, मलयालम, कन्नड़, तेलुगू भारतीय भाषाओं के प्रख्यात देश भर के कई विद्वानों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
सम्मान प्राप्त करने वालों में प्रख्यात विद्वान डा अब्दुस सलाम जीलानी को सम्मानित किये जाने की खबर उनके पेतृक गांव जिले के बनमा ईटहरी में फैलते ही परिवार वालों सहित पूरा क्षेत्र खुशी के माहौल से झूम उठा। उन्होंने यह सम्मान पाकड़ पेतृक गांव ही नहीं पूरे जिला का नाम रौशन करते हुए गर्भ से झोली भर दिया है। परिवार वालों में काफी उत्साह का माहौल है।
विद्वान श्री जीलानी मुख्य रूप से वर्तमान में अलीगढ़ में अपने परिवार के साथ रहते हैं। इनका जन्म 3 जनवरी 1974 को हुआ था। पिता का नाम मुफ्ती अब्दुल कुद्दुस है। उन्होंने प्रथम श्रेणी से एमए (फारसी) परीक्षा पास किया। जिसमें उनको उमर खैयाम स्वर्णपदक से भी सम्मानित किया गया। वहीं इसके बाद फारसी भाषा में पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की। उन्होंने मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद से एमए (इतिहास) से डिग्री प्राप्त की। इसके अलावा उन्होंने रचनाओं में 5 पुस्तकें और 19 शोषलेख किया है। जिसमें मध्यकालीध भारतीय इतिहास के विद्वानों के बीच शास्त्रीय फारसी को लोकप्रिय बनाने में फारसी में उत्कृष्ट योगदान दिया। सबसे खास बात है कि उन्होंने विदेश मंत्रालय भारत सरकार की एक योजना के अंतर्गत 'उच्बेक साहित्य का दस्तावेजीकरण' नामक परियोजना में 200 फारसी पांडुलिपियों को प्रकाश में लाने का कार्य किया है।
लोगों ने व्यक्त किया खुशी :-
खुशी व्यक्त करने वालो में पिता मुफ्ती अब्दुल कुद्दुस सहित मसुद आलम, फैज अहमद, शाहिद साहब, अहसनुज्जमां व अन्य लोग शामिल है।
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