कोशी बिहार टुडे, सहरसा
बिहार के लोगों में कुछ है तो उसमें से एक जीवटता भी शामिल है। प्रदेश के ग्रामीण कस्बों में ऐसे कई उदाहरण हैं। खासकर गया में तो कई उदाहरण हैं जिनकी अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा हो चुकी है।
ताजा मामले में गया के बुद्धौल गांव में ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से 30 वर्षों से पेंडिंग पड़े एक पुल निर्माण का बीड़ा उठाया है। स्थानीय ग्रामीणों मुताबिक इस पुल के निर्माण के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों, नेताओं और सरकार से मांग कर चुकी है। लेकिन आज तक ये पूरा नहीं हुआ। इसके बाद ग्रामीणों ने खुद ही आपसी सहयोग से इसे बनाने का फैसला लिया। इस पूल के अधूरा रहने पर बरसात के समय ग्रामीणों को छह किलोमीटर घूमकर गाँव आना पड़ता था। इसी कठिनाई को देखते हुए ग्रामीण के द्वारा बेठक कर अपने सहयोग से पूल बनाने का संकल्प लिया एवं पूल को बना डाला। अब ग्रामीणों को इस पूल से आने-जाने में काफी सुबिधा हो रही है।
दशरथ मांझी द माउंटेनमैन
आपको बता दें कि माउंटेनमैन के नाम से विख्यात दशरथ मांझी जिन्होंने पत्नी के प्रेम में पहाड़ का सीना काटकर रास्ता बनाने वाले गया के ही रहने वाले थे। उन पर फिल्में भी बनीं, सड़कें बनीं और उनसे लोग इंस्पायर्ड हुए। इनपुट-हिंदुस्तान
विकास गांजा पीकर मस्ती में है, कृपया आप आगे बढ़े। विकास पीछे पीछे आयेगा।
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