शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

खत्म हुआ 86 साल का इंतजार, मोदी ने किया कोसी रेल महासेतु का उद्घाटन, निर्मली से सरायगढ़ की दूरी 298 किलोमीटर से घटकर 22 किलोमीटर हुई


कोशी बिहार टुडे, सहरसा

पीएम ने समस्तीपुर मंडल के मुजफ्फरपुर से सीतामढ़ी, समस्तीपुर-दरभंगा-जयनगर, समस्तीपुर-खगड़िया खंडों के रेलवे विद्युतीकरण परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।



सीमांचल और मिथिलांचल के 9 जिले के लोगों को मिली सुविधा

1.9 किलोमीटर लंबे कोसी रेल महासेतु को बनाने में 516 करोड़ रुपए की लागत आई


बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राज्य के लोगों को चौथी सौगात दी। आज कोसी के इलाके के लोगों का 86 साल का इंतजार पूरा हो गया। 2003 में जिस कोसी महासेतु की आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी, उस पुल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। पुल बनाने में 17 साल लग गए। इसके साथ ही पीएम ने समस्तीपुर मंडल के मुजफ्फरपुर से सीतामढ़ी, समस्तीपुर-दरभंगा-जयनगर, समस्तीपुर-खगड़िया खंडों के रेलवे विद्युतीकरण परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। इस महासेतु के बनने से सीमांचल और मिथिलांचल के 9 जिले (दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार) के लोगों को सहूलियत मिली है। विधानसभा चुनाव से पहले बिहार को प्रधानमंत्री की यह चौथी सौगात है। इससे पहले उन्होंने 10, 13 और 15 को विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया था। मोदी 21 और 23 सितंबर को भी बिहार को चुनावी सौगात देंगे।


516 करोड़ रुपए की आई लागत

1887 में निर्मली और भपटियाही (सरायगढ़) के बीच मीटर गेज लिंक बनाया गया था जो 1934 में विनाशकारी भूकंप की वजह से तबाह हो गया था। इसके बाद से कोसी और मिथिलांचल के बीच रेल संपर्क टूट गया था। 6 जून 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने निर्मली में कोसी मेगा ब्रिज लाइन परियोजना की आधारशिला रखी थी। 1.9 किलोमीटर लंबे कोसी रेल महासेतु को बनाने में 516 करोड़ रुपए की लागत आई।


298 किलोमीटर की जगह 22 किलोमीटर रह गई निर्मली से सरायगढ़ की दूरी

पहले निर्मली से सरायगढ़ तक का सफर दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया-मानसी-सहरसा होते हुए 298 किलोमीटर का है। महासेतु के निर्माण से यह दूरी मात्र 22 किलोमीटर में सिमट गई।


तटबंधों और बराज निर्माण से साकार हुई पुल की परियोजना

कोसी की धाराओं को नियंत्रित करने का सफल प्रयास पश्चिमी और पूर्वी तटबंध एवं बैराज निर्माण के साथ 1955 में आरंभ हुआ। पूर्वी और पश्चिमी छोर पर 120 किलोमीटर का तटबंध 1959 में पूरा कर लिया गया और 1963 में भीमनगर में बैराज का निर्माण भी पूरा कर लिया गया। इसके बाद कोसी पर पुल बनाने का सपना साकार हो सका।


पूर्वी भारत की रेल कनेक्टिविटी मजबूत होगी

प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार में रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में आज इतिहास रचा गया है। कोसी महासेतु और किउल ब्रिज के साथ ही बिहार में रेल यातायात, रेलवे के बिजलीकरण, रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने और नए रोजगार देने वाले एक दर्जन प्रोजेक्ट का आज लोकार्पण और शुभारंभ हुआ है। लगभग तीन हजार करोड़ रुपए के इन प्रोजेक्ट से बिहार का रेल नेटवर्क तो सशक्त होगा ही पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत की रेल कनेक्टिविटी भी मजबूत होगी।


बिहार में नदियों के विस्तार के कारण अनेक हिस्से एक-दूसरे से कटे हुए रहे हैं। बिहार के करीब-करीब हर हिस्से के लोगों की एक बड़ी दिक्कत रही है नदियों की वजह से होने वाला लंबा सफर। जब नीतीश कुमार रेल मंत्री थे जब पासवान रेल मंत्री थे तब उन्होंने भी इस समस्या को दूर करने के लिए बहुत प्रयास किया था। लेकिन, फिर एक लंबा समय वो आया जब इस दिशा में ज्यादा काम ही नहीं किया गया। ऐसे में बिहार के करोड़ों लोगों की इस बड़ी समस्या के समाधान की ओर हम बढ़ रहे हैं।


अटल बिहारी वाजपेयी और नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट हुआ पूरा

पिछले पांच-छह साल में एक के बाद एक इस समस्या के हल की तरफ तेजी से कदम बढ़ाए गए हैं। पिछले चार साल में उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले दो महासेतु (एक पटना में और एक मुंगेर में) शुरू किए गए। इन दोनों रेल पुल के चालू हो जाने से उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच लोगों का आना-जाना आसान हुआ है। खासकर उत्तर बिहार के क्षेत्र में जो दशकों से विकास से वंचित थे उन्हें विकास के लिए नई गति मिली है। इनपुट-दैनिकभास्कर

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