मंगलवार, 26 जनवरी 2021

शाहनवाज हुसेन हो सकते है बिहार के डिप्टी सीएम, मिलेगा पावरफुल मंत्रालय

वित्त, वाणिज्य, सड़क या स्वास्थ्य में से एक विभाग की मिल सकती है जिम्मेदारी

कोशी बिहार टुडे, सहरसा



भाजपा ने आननफानन में शाहनवाज हुसैन को बिहार बुला कर MLC तो बना दिया, लेकिन उन्हें किस 'कुर्सी' पर बिठाएं यह बिहार भाजपा के लिए बड़ा सवाल बन गया है। 2014 से लगातार अपने पॉलिटिकल सेटलमेंट के लिए जूझ रहे शाहनवाज को 2021 में भाजपा ने जब बिहार की रेल पकड़ा दी तो, उन्हें 'स्पेशल कैटगरी' भी चाहत होगी। ऐसे में राजनीतिक गलियारे में कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। शाहनवाज को बिहार में ऐसा पोर्टफोलियो देने की तैयारी चल रही है , जो 'हेवी' भी हो और 'पावरफुल' भी। सूत्रों की मानें तो उनको वित्त और वाणिज्यकर विभाग का जिम्मा दिया जा सकता है, जो अक्सर डिप्टी CM के पास ही रहा है। हुसैन को सड़क और स्वास्थ्य जैसा भारी भरकम विभाग भी दिया जा सकता है।

एक चर्चा यह भी है कि शाहनवाज को आने वाले दिनों में बिहार में उपमुख्यमंत्री भी बनाया जा सकता है। लेकिन, यह इतना जल्दी संभव नहीं है, क्योंकि अभी-अभी तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी उपमुख्यमंत्री बनी हैं और ऐसे में फिलहाल बदलाव की कोई स्थिति नहीं दिखती है। जल्द ही बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार होने वाला है। इसमें शाहनवाज का मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है।

शाहनवाज हुसैन के राजनीतिक जीवन को देखें तो उन्होंने काफी कम उम्र में राजनीति का पहला पायदान हासिल कर लिया था। 1997 में एक कार्यक्रम के दौरान शाहनवाज हुसैन का भाषण सुनकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि यह लड़का बहुत अच्छा बोलता है, अगर पार्लियामेंट में भेजा जाए तो बड़े-बड़ों की छुट्टी कर देगा। बाद में 1998 में शाहनवाज किशनगंज से चुनाव लड़े और हार गए। 1999 में जब दुबारा चुनाव हुआ तो शाहनवाज सांसद बने और NDA सरकार में राज्यमंत्री भी बने। उन्हें फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज, यूथ अफेयर और खेल जैसे मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया। 2001 में उन्हें कोयला मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया। सितंबर 2001 में नागरिक उड्डयन पोर्टफोलियो के साथ कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

शाहनवाज भारत के सबसे कम उम्र के केंद्रीय मंत्री बने। 2003 से 2004 तक उन्होंने कैबिनेट मिनिस्टर के रूप में कपड़ा मंत्रालय संभाला। 2004 के आम चुनाव में हार के बाद शाहनवाज 2006 में उपचुनाव में भागलपुर सीट से जीते। 2009 में भागलपुर से शाहनवाज को दोबारा जीत मिली। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में जब पूरे देश में मोदी की लहर थी, शाहनवाज को हार का सामना करना पड़ा। तब से लेकर अबतक वे अपनी राजनीति को मजबूत करने में लगे रहे। हालांकि भाजपा इस दौरान उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाकर उनसे संगठन का काम लेती रही।

शाहनवाज की तुलना बिहार भाजपा के दूसरे नेताओं से की जाए तो अभी उनके सामने सभी का कद बौना ही होगा। भाजपा कोटे से उपमुख्यमंत्री बने तारकिशोर प्रसाद की अगर बात करें तो, वे कटिहार से चौथी बार विधायक बने हैं। 1974 में ललित नारायण विवि से इंटर पास तारकिशोर प्रसाद 1980 के दशक से ही राजनीति और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। वे पहली बार फरवरी 2005 में कटिहार से विधायक बने। इसके बाद अक्टूबर 2005 और साल 2010 में भी विधायक बने। साल 2015 में महागठबंधन की लहर में भी तारकिशोर ने चुनाव जीता। 2020 में वे चौथी बार कटिहार से विधायक चुने गए हैं। संगठन में कई पदों पर रह चुके तारकिशोर प्रसाद अप्रत्याशित रूप से पार्टी के विधानमंडल दल के नेता चुने गए और उपमुख्यमंत्री बने हैं। लेकिन, इससे पहले उनको प्रदेश में मंत्री नहीं बनाया गया था।

अब शाहनवाज हुसैन की बात करें तो उन्होंने इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई की है। साथ ही उनके पास 5-5 मंत्रालय संभालने का अनुभव है। संगठन में भी शाहनवाज हुसैन का विस्तार देश स्तर पर है। ऐसे में, शाहनवाज हुसैन को बाद में ही सही, उपमुख्यमंत्री बना दिया जाता है तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। और भाजपा एक मुसलमान चेहरे को उपमुख्यमंत्री बना कर अपने सहयोगी दलों से लेकर विपक्षी दलों तक को 'सबक' दे सकती है।इनपुट-दैनिकभास्कर

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