सात दिवसीय ज्ञान ध्यान यज्ञ सम्पन
गाँधीपथ स्थित संतमत सतसंग मंदिर में श्रद्धालु की लगी भीड़
कोसी बिहार टुडे, सहरसा
सहरसा शहर के वार्ड नं 8 स्थित गांधी पथ सत्संग मंदिर में सप्त दिवासीय ज्ञान ध्यान यज्ञ का आज समापन समारोह पूर्वक किया गया।
इस ध्यान साधना शिविर के समापन सत्र में पूज्यपाद स्वामी सत्यनारायण ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा कि संत महापुरूष का ज्ञान जीवन में धारण करने से मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है ।
ध्यान साधना करने मानव मुक्ति की ओर हमेशा अग्रसर बने रहते है ।राम -कृष्ण मे परमात्मा है , मनुष्य के अंदर भी परमात्मा है उस परमात्मा को जो पहचानकर गुरू के बताये गये युक्ति से साधन भजन करते है उनको जन्म-मरण से छुटकारा मिल जाता है।
स्वामी किशोरनंद जी महराज ने ध्यान साधना शिविर की महत्ता बतलाते हुए कहा कि प्राचीन काल में योगी पर्वत के आगे , नदी के किनारे, बेल -वृक्ष की जड़ अथवा वन मे ध्यानभ्यास किया करते थे ।
बौद्धकाल मे महात्मा बुद्ध अपने भिक्षु समुदाय के साथ वन में एकांत स्थान मे समाहूकि ध्यानभ्यास करते थे ।भगवान श्रीकृष्ण भी प्रतिदिन ब्रहा मुर्हत मे ध्यानभ्यास किया करते थे,उसी प्रकार परमाराध्य् सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महराज जी अपने अधीनस्थ आश्रमों मे सामूहिक ध्यानभ्यास का संचालन आजीवन करते रहे ।
कहाने का तात्पर्य यह है कि पहाड़ के समान कई योजन तक पाप फैला हुआ है, तो वह ध्यानयोग से नष्ट हो जाता है। वर्तमान समय में ध्यान का महत्व सर्वाधिक है ।
स्वामी विष्णु देव जी महराज एवं स्वामी महेशानंद जी महराज ने समापन सत्र में अपने प्रवचन में कहा कि यदि किसी का ठीक ठाक ध्यान बनता है ,तो वह साधक की वृति को बहिमुर्ख से अंतमुर्खी बना देता है ।इसी ध्यानभ्यास के कारण महात्माओ का जीवन -मरण से छुटकारा मिल जाता है। इसलिए सभी को निरंतर ध्यानभ्यास करते रहना चाहिए।
इस ध्यान साधना शिविर के समापन सत्र में पूर्व विधायक श्री गुजेश्वर साह जी ने आगत महात्माओ का स्वागत करते हुए कहा कि मनुष्य जीवन में संत महात्माओ का विशेष योगदान है उनके बताये हुए मार्ग पर हमलोग निरंतर चलते रहेंगे तो कभी सांसारिक दुखों का सामना नही करना पड़ेगा।
गाँधीपथ स्थित संतमत सतसंग मंदिर में श्रद्धालु की लगी भीड़
कोसी बिहार टुडे, सहरसा
सहरसा शहर के वार्ड नं 8 स्थित गांधी पथ सत्संग मंदिर में सप्त दिवासीय ज्ञान ध्यान यज्ञ का आज समापन समारोह पूर्वक किया गया।
इस ध्यान साधना शिविर के समापन सत्र में पूज्यपाद स्वामी सत्यनारायण ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा कि संत महापुरूष का ज्ञान जीवन में धारण करने से मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है ।
ध्यान साधना करने मानव मुक्ति की ओर हमेशा अग्रसर बने रहते है ।राम -कृष्ण मे परमात्मा है , मनुष्य के अंदर भी परमात्मा है उस परमात्मा को जो पहचानकर गुरू के बताये गये युक्ति से साधन भजन करते है उनको जन्म-मरण से छुटकारा मिल जाता है।
स्वामी किशोरनंद जी महराज ने ध्यान साधना शिविर की महत्ता बतलाते हुए कहा कि प्राचीन काल में योगी पर्वत के आगे , नदी के किनारे, बेल -वृक्ष की जड़ अथवा वन मे ध्यानभ्यास किया करते थे ।
बौद्धकाल मे महात्मा बुद्ध अपने भिक्षु समुदाय के साथ वन में एकांत स्थान मे समाहूकि ध्यानभ्यास करते थे ।भगवान श्रीकृष्ण भी प्रतिदिन ब्रहा मुर्हत मे ध्यानभ्यास किया करते थे,उसी प्रकार परमाराध्य् सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महराज जी अपने अधीनस्थ आश्रमों मे सामूहिक ध्यानभ्यास का संचालन आजीवन करते रहे ।
कहाने का तात्पर्य यह है कि पहाड़ के समान कई योजन तक पाप फैला हुआ है, तो वह ध्यानयोग से नष्ट हो जाता है। वर्तमान समय में ध्यान का महत्व सर्वाधिक है ।
स्वामी विष्णु देव जी महराज एवं स्वामी महेशानंद जी महराज ने समापन सत्र में अपने प्रवचन में कहा कि यदि किसी का ठीक ठाक ध्यान बनता है ,तो वह साधक की वृति को बहिमुर्ख से अंतमुर्खी बना देता है ।इसी ध्यानभ्यास के कारण महात्माओ का जीवन -मरण से छुटकारा मिल जाता है। इसलिए सभी को निरंतर ध्यानभ्यास करते रहना चाहिए।
इस ध्यान साधना शिविर के समापन सत्र में पूर्व विधायक श्री गुजेश्वर साह जी ने आगत महात्माओ का स्वागत करते हुए कहा कि मनुष्य जीवन में संत महात्माओ का विशेष योगदान है उनके बताये हुए मार्ग पर हमलोग निरंतर चलते रहेंगे तो कभी सांसारिक दुखों का सामना नही करना पड़ेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें