9 दिवसीय मानस यज्ञ में बह रही है भक्ति की गंगा
महेंद्र प्रसाद, सहरसा
बलवाहाट ओपी के मोहमदपुर पंचयात के मध्य विद्यालय ऐनी में 9 दिवसीय दिव्य संगीतमय श्री राम कथा सह संत सम्मेलन सह मानस यज्ञ के चौथे दिन अयोध्या से पहुचे श्री श्री 108 स्वामी बालक दास जी महाराज के प्रवचन से इलाका भक्तिमय हो गया। सुबह के 9 से 9 बजे तक वेद पाठ, 9 से 12 तक नवाह परायण पाठ, 2 से 4 बजे तक संत प्रवचन पाठ, भजन, गायन एवं 4 बजे से 7 बजे तक श्री राम कथा एवं 8 से 12 बजे तक रासलीला प्रतिदिन होता है। वृंदावन से पधारे राममण्डली द्वारा कृष्णलीला का आयोजन होता है। 9 दिन तक चलने वाले इन मानस यज्ञ में दूर दूर के लोग संत का प्रवचन सुनने आते है। प्रवचनकर्ता स्वामी बालक दमस जी महाराज ने कहा कि श्रीराम नाम की साधना के मूल में संत ही माध्यम बनेगा। संत केवल साधना ही नहीं बताता है अपितु साधना करने की शक्ति भी देता है। अयोध्या से पहुचे स्वामी बालक दास जी महाराज ने संत और भक्ति की शक्ति की महिमा बताई।
बालक दास जी ने बताया कि प्रहलाद को गर्भावस्था से ही नारद जैसे संत के आश्रम में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। धुर्व ने मानसिक ग्लानि के कारण साधना की। कथा है कि पांच वर्ष के बालक धु्रव सौतेले भाई को पिता की गोद में बैठा देखकर स्वयं भी पिता की गोद की ओर आगे बढ़े तो सौतेली माता ने रोक दिया, किंतु आहत बालक को उसकी माता ने समझाया कि तुम भगवान की गोद प्राप्त करने की चेष्टा करो और तब नारद जी के द्वारा धु्रव को भगवान की प्राप्ति का मार्ग बताया जाता है।
मानस मर्मज्ञ बालक जी के अनुसार धु्रव वह पद प्राप्त करते हैं जो सृष्टि में किसी को प्राप्त नहीं होता है। धु्रव तारा आज भी अचल माना जाता है। जब अधिक वैज्ञानिक साधन नहीं थे तब धु्रव तारा के माध्यम से दिशा का निर्णय किया जाता था। वह कभी अपना स्थान नहीं बदलता है।
महेंद्र प्रसाद, सहरसा
बलवाहाट ओपी के मोहमदपुर पंचयात के मध्य विद्यालय ऐनी में 9 दिवसीय दिव्य संगीतमय श्री राम कथा सह संत सम्मेलन सह मानस यज्ञ के चौथे दिन अयोध्या से पहुचे श्री श्री 108 स्वामी बालक दास जी महाराज के प्रवचन से इलाका भक्तिमय हो गया। सुबह के 9 से 9 बजे तक वेद पाठ, 9 से 12 तक नवाह परायण पाठ, 2 से 4 बजे तक संत प्रवचन पाठ, भजन, गायन एवं 4 बजे से 7 बजे तक श्री राम कथा एवं 8 से 12 बजे तक रासलीला प्रतिदिन होता है। वृंदावन से पधारे राममण्डली द्वारा कृष्णलीला का आयोजन होता है। 9 दिन तक चलने वाले इन मानस यज्ञ में दूर दूर के लोग संत का प्रवचन सुनने आते है। प्रवचनकर्ता स्वामी बालक दमस जी महाराज ने कहा कि श्रीराम नाम की साधना के मूल में संत ही माध्यम बनेगा। संत केवल साधना ही नहीं बताता है अपितु साधना करने की शक्ति भी देता है। अयोध्या से पहुचे स्वामी बालक दास जी महाराज ने संत और भक्ति की शक्ति की महिमा बताई।
बालक दास जी ने बताया कि प्रहलाद को गर्भावस्था से ही नारद जैसे संत के आश्रम में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। धुर्व ने मानसिक ग्लानि के कारण साधना की। कथा है कि पांच वर्ष के बालक धु्रव सौतेले भाई को पिता की गोद में बैठा देखकर स्वयं भी पिता की गोद की ओर आगे बढ़े तो सौतेली माता ने रोक दिया, किंतु आहत बालक को उसकी माता ने समझाया कि तुम भगवान की गोद प्राप्त करने की चेष्टा करो और तब नारद जी के द्वारा धु्रव को भगवान की प्राप्ति का मार्ग बताया जाता है।
मानस मर्मज्ञ बालक जी के अनुसार धु्रव वह पद प्राप्त करते हैं जो सृष्टि में किसी को प्राप्त नहीं होता है। धु्रव तारा आज भी अचल माना जाता है। जब अधिक वैज्ञानिक साधन नहीं थे तब धु्रव तारा के माध्यम से दिशा का निर्णय किया जाता था। वह कभी अपना स्थान नहीं बदलता है।
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