कमजोर वर्ग के बच्चों का निजी स्कूल कर रहे हैं हकमारी, जांच की मांग
वार्ड पार्षद ने अनुपालन नहीं करने वाले स्कूलों पर जिलाधिकारी से कार्यवाही की मांग
25 प्रतिशत गरीब बच्चों को अमीरजादों के साथ मुफ्त में शिक्षा देने का है प्रावधान
महेन्द्र प्रसाद, सहरसा
नगर पंचायत क्षेत्र में चलाई जा रही निजी विद्यालयों में शिक्षा के अधिकार कानून की धज्जियां उड़ रही हैं। 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा नही देने को लेकर वार्ड पार्षद नरेश कुमार निराला ने शिक्षा मंत्री, अनुसूचित जाति-जनजाति मंत्री, जिलाधिकारी, सहित वरीय अधिकारियों को आवेदन देकर अनुपालन नहीं करने वाले निजी स्कूलों पर करवाई की मांग किया है।
आवेदन में कहा गया है कि शिक्षा विभाग द्वारा लाख दावे के वावजूद कई प्राइवेट स्कूल गरीब बच्चों की हकमारी कर रहे हैं। बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से सरकार के आदेश के आलोक में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत कमजोर वर्ग के 25 प्रतिशत बच्चों को निजी स्कूलों में गरीब बच्चे का नामांकित करने का आदेश जारी हुआ था।यह शिक्षा प्राइवेट स्कूलों को मुफ्त में नहीं देनी थी, बल्कि इसके बदले उन गरीब बच्चों की पढ़ाई का खर्च सर्व शिक्षा की ओर से दिया जाना था। इसके बावजूद इसके नगर पंचायत क्षेत्र में संचालित प्रस्वीकृत निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा नियमों की अनदेखी किया जा रहा है साथ ही इन स्कूलों में पिछले कुछ वर्षो में किताब, ड्रेस और फीस के नाम पर वसूले जा रहे पैसों को कई गुणा बढ़ा दिया गया है। और तो और इन स्कूलों में पढ़ाना मध्यम वर्ग के लोगों के औकात से भी बाहर हो गया है।
गरीब बच्चों की हकमारी कर रहे स्कूलों पर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा गया है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे सिर्फ इन स्कूलों के खिलाफ रिपोर्ट कर सकते हैं।कार्रवाई और अपीलीय पदाधिकारी प्राथमिक शिक्षा के डायरेक्टर होते हैं।
हलांकि शिक्षा विभाग के पदाधिकारी यह भी मानते हैं कि अगर नियम और कानून का कड़ाई से पालन किया गया तो अधिकांश प्राइवेट स्कूल बंद हो जायेंगे और इनकी संख्या अंगुली पर गिनने लायक हो जायेगी।
इस संबंध में अनुमंडल चिल्ड्रेन एसोसिएशन के सचिव शम्भू प्रसाद सुमन से पुछे जाने पर बताया कि यहां 12 से 13 पूर्णतः सरकारी मान्यता प्राप्त है। अधिनियम का अनुपालन किया जा रहा है। अनुपालन नहीं करने वाले विद्यालय पर कार्रवाई की जाएगी।
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