सेविका पद की बहाली में परीक्षा के आधार पर हो
निकली बहाली में अगब गजब कारनामे
कोशी बिहार टुडे
(फोटो- सांकेतिक)
जिले में निकली आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका की बहाली जिलाधिकारी के द्वारा रद्द कर नए सिरे से बहाली प्रक्रिया शुरू किए जाने के बाद जहा अधिकांश लोगों ने स्वागत किया है, वही बहाली के नाम पर वसूली किये जाने वालों के मुह पर जोरदार तमाचा लगा है। आवेदन के बाद जब मेधा सूची प्रकाशित हुई तो उसके बाद आपत्ति तो बाढ़ आ गया था। नियम कानून को धता बताते हुए अजब-गजब फर्जीवाड़ा किया गया। कोई अपने वार्ड को छोड़कर दूसरे वार्ड में छलांग लगा दिया तो कोई बाहुबल के बल पर सेविका की नोकरी हासिल करने का पूरा इंतजाम किए जाने की सूचना मिल रही था।
सेविका पद का हो परीक्षा---
लोगो का मानना है कि कम से कम सेविका पद के लिये तो हर हाल में परीक्षा का आयोजन जिला मुख्यालय में होना चाहिए। चूंकि आज के समय सेविका का भी कार्य का दायरे बढ़ा है। यूनिसेफ से लेकर बालविकास, स्वास्थ्य विभाग सहित ऐसे कार्य होते है जो सेविका को करना पड़ता है। ऐसे में जानकर की बहाली जरूरी है। परीक्षा होने पर जहा गलत होने की संभावना पूरी तरह खारिज हो जायेगा, वही बहाली के नाम पर लेनदेन करने वालो का भी अक्ल ठिकाने आ जायेगा।
मैपिंग पंजी हो सार्वजनिक-- कई जगह से शिकयत मिला है कि मैपिंग पंजी भी चुपचाप बनाया गया। नियमावली 2016 के अनुसार मैपिंग पंजी को बालविकास कार्यालय, प्रखंड, अंचल कार्यालय सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्रकाशित करना है। फिर एक सप्ताह तक उक्त मैपिंग पंजी पर लोगो से आपत्ति लिया जायेगा। आपत्ति के बाद ही इसे अंतिम मैपिंग पंजी प्रकाशित होगा। इसकी सारी जिम्मेदारी महिला पर्यवेक्षक की होगी, लेकिन कही भी मैपिंग पंजी को प्रकाशित नही किया गया। सलखुआ प्रखंड में तो अभ्यर्थी जब बालविकास कार्यालय में मैपिंग पंजी की जानकारी लेने गया तो उसे ये कहकर भाग दिया कि ये गोपनीय है, किन्ही को दिखाने की जरूरत नही है। स्थिति ये रहा कि आवेदन के कॉलम में खाली पड़े आवेदक के मैपिंग पंजी का नंबर तक नही भरा जा सका। पहले मैपिंग पंजी को सार्वजनिक किया जाये।
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