रविवार, 22 जुलाई 2018


दियारा में अपराधी घोड़े पर एवं पुलिस करती है पैदल गश्ती

जल, जलकर और जमीन के लिये गरजती है बंदूके
महेन्द्र प्रसाद, सहरसा

 राजा टोडरमल का फरक किया गया  फरकिया में जल, जलकर एवं जमीन के लिये बंदूके गरजती रहती है। इसपर कब्जा जमाने के लिये कोसी दियारा में दर्जनों गैंग बना, सभी ने अपने अपने सहूलियत से गैंग चले।  इसी गैंग में कई कुख्यात अपराधी या तो गैंगवारी में मारा गया या एसटीएफ की करवाई।दूर-दूर तक कफन की तरह फैला बालू। जहां तक नजर पहुंचे वहां तक बस पानी ही पानी। दूर-दूर बसे टोले और खेतों में गूंजती घोड़े की टाप। इन घोड़ों पर बंदूक थामे अपराधियों की टोली। कोसी दियारा में यह दृश्य आज भी आम है। यहां जल, जलकर और जमीन पर कब्जे को लेकर अपराधी गिरोहों की जुगलबंदी होती है तो यही अदावत का कारण भी बनती है। चाहे रामानंद यादव गिरोह हो या रामपुकार, छबिलाल हो या इंग्लिश चौधरी-सतन चौधरी गिरोह हर किसी की नजर यहां की जमीन और जलकर पर होती है।

कई गिरोह का हो रहा है संचालन
दियारा में रामानंद यादव के अलावा कई गिरोह का संचालन अब भी हो रहा है। अपराधी इंगलिश चौधरी की मुठभेड़ में हुई मौत के बाद इस गिरोह की कमान सतन चौधरी ने संभाल ली थी। लेकिन वर्ष 2008 में सत्तन चौधरी भी एसटीएफ के मुठभेड़ में मारा गया। जिसके बाद रामानंद का दियारा में एकक्षत्र राज कायम हो गया। इसी बीच कई गिरोह दियारा के अलग-अलग इलाके में पनपने लगा। दिनेश-विपिन गिरोह भी चर्चा में आया। परंतु गत वर्ष अगस्त माह में एसटीएफ के साथ दिनेश-विपिन गिरोह की मुठभेड़ हुई जिसमें गिरोह के दोनों सरगना पकड़े गये। उसके बाद सबसे अधिक सुर्खियों में काजल यादव का नाम आया। हालांकि कुछ माह पहले ही काजल यादव को एसटीएफ की टीम ने सोनपुर मेला से गिरफ्तार किया था। काजल घोड़ा खरीदने के लिए सोनपुर गया था जहां एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया। फिलहाल काजल जेल में है। नाव परिचालन से लेकर जलकर और जमीन पर इन अपराधियों का सिक्का चलता था।
दियारा में अपराधी घोड़ा पर पुलिस पैदल-
दियारा इलाके में थाना व संसाधन की कमी के कारण पुलिस भी अपराधियों से खौफ खाती है। दियारा में गश्ती के लिए जिला पुलिस के पास न तो घुड़सवार दस्ता है और न ही पर्याप्त संख्या में पुलिस बल ही उपलब्ध है। चिरैया व कनरिया ओपी दियारा इलाके में है। यहां की पुलिस को पैदल ही गश्ती करनी पड़ती है एवं अपराधी घोड़े पर चलता है। यहां तक की हाजत तक उपलब्ध नहीं है। अगर पुलिस कार्रवाई भी करना चाहती है तो अपराधियों के पास हथियार व गोली की संख्या की सूचना पर कार्रवाई करने से परहेज ही करती है।

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