कोशी नदी अपने रास्ते में किसी को आने नहीं देती,जानिए कोशी नदी क्यों है बिहार का शोक।
महेन्द्र प्रसाद, सहरसा
कोसी नदी नेपाल में हिमालय से निकलती है, और बिहार में भीम नगर के रास्ते भारत में दाखिल होती है। इसकी बाढ़ से बिहार में भीषण तबाही होती है, इस लिए कोसी को बिहार का शोक या अभिशाप भी कहा जाता है। हिन्दू ग्रंथों में इसे कौशिकी नदी के नाम से बताया गया है। पौराणिक मान्यता है कि विश्वामित्र को इसी नदी के किनारे ऋषि का दर्जा मिला था । वे कुशिक ऋषि के शिष्य थे और उन्हें ऋ ग्वेद में कौशिक भी कहा गया है। सात धाराओं से मिलकर सप्तकोशी नदी बनती है जिसे स्थानीय रूप से कोसी कहा जाता है। महाभारत में भी इसका जिक्र कौशिकी नाम से मिलता है। इसका भौगोलिक स्वरूप पिछले 250 वषों में 120 किमी का विस्तार कर चुका है। हिमालय की ऊँची पहाडियों से तरह- तरह के अवसाद (बालू, कंकड़-पत्थर) अपने साथ लाती हुई ये नदी निरंतर अपने क्षेत्र फैलाती जा रही है।
कोसी को हुए बाधने के कई प्रयास
नेपाल और भारत दोनों ही देश इस नदी पर बाँध बना रहे हैं परन्तु पर्यावरणविदों की मानें तो ऎसा करना नुकसानदेह हो सकता है। कोसी नदी पर बांध बनाने का काम ब्रिटिश शासन के समय से विचाराधीन है आखिर क्या वजह है बांध टूटने और बनने की ब्रिटिश सरकार को ये चिन्ता थी कि कोसी नदी पर तटबन्ध बनाने से इसके प्राकृतिक बहाव के कारण यह टूट भी सकता है । इसी लिए सरकार ने तटबंध नहीं बनाने का फैसला किया इसके पीछे वजह थी कि अगर तटबंध टूट गया तो जो क्षति होगी उसकी भरपाई करना ज्यादा मुश्किल साबित होगा इसी बीच ब्रिटिश सरकार चली गई, और आजादी के बाद सन् 1954 में भारत सरकार ने नेपाल के साथ समझौता किया और बाँध बनाया गया। यह बाँध नेपाल की सीमा में बना और इसके रखरखाव का काम भारतीय अभियंताओं को सौंपा गया । इसके बाद ये बांध अबतक सात बार टूट चुका है और नदी की धारा की दिशा में छोटे-मोटे बदलाव होते रहे हैं। बराज में बालू के निक्षेपण के कारण जलस्तर बढ़ जाता है और बाँध के टूटने का खतरा बना रहता है । बाँध बनाते समय अभियंताओं का मानना था कि यह नौ लाख घनफुट प्रतिसेकेंड (क्यूसेक) पानी के बहाव को झेलने की क्षमता रखता है और बाँध की आयु 25 वर्ष है। बाँध पहली बार 1963 में टूटा था । इसके बाद 1968 में यह 5 जगहों पर टूटा । उस समय नदी में पानी का बहाव 9 लाख 13 हजार क्यूसेक था । वर्ष 1991 में नेपाल के जोगनिया तथा 2008 में यह नेपाल के ही कुसहा में बांध टूटा । वर्ष 2008 में जब यह टूटा तो इसमें बहाव महज 1 लाख 44 हजार क्यूसेक था। अगर नेपाल के तराई क्षेत्र में बारिश होती है तो बिहार के सीमावर्ती जिलें सुपौल,सहरसा और मधेपुरा में बाढ़ का खतरा हमेशा बना रहता है। जब बाढ़ आती है तो अपने साथ तबाही ले कर आती है।
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