कोशी बिहार टुडे, सहरसा
राज्य में 40 से कम छात्र वाले 1140 प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर दिया जाएगा। इसमें पढ़ रहे बच्चों और शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट किया जायेगा।
शिक्षकों पर फोड़ा ठीकरा---
विभागीय अधिकारी कम छात्रों का ठीकरा शिक्षकों के माथे फोड़ रहे हैं। उनका दावा है कि शिक्षकों की लापरवाही की वजह से स्कूलों में बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं। इन शिक्षकों का अपने-अपने विद्यालय क्षेत्रों में जाकर अभिभावकों को जागरूक करने का जिम्मा है ताकि हर घर से बच्चे स्कूल पहुंचे।
13 स्कूलों में एक भी बच्चा नहीं---
सूबे में कुल 13 ऐसे विद्यालय हैं जिसमें बच्चों का नामांकन शून्य है। इसके अलावा 171 स्कूलों में 1-20 तक ही बच्चों की संख्या है। 336 स्कूलों में 21-30 बच्चों की संख्या है। 620 स्कूलों में 31-39 तक बच्चों की संख्या है।
क्या है नियम---
यू-डायस 2017-18 की रिपोर्ट के आधार पर यह पता चला कि भागलपुर सहित प्रदेश के अन्य जिलों के प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों की संख्या 40 से कम है। जबकि बच्चों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 के मुताबिक उन्हीं जगहों पर प्राथमिक विद्यालय खोले जायेंगे जहां 6-14 आयुवर्ग के बच्चों की संख्या कम से कम 40 हो।
विद्यालय परीक्षा समिति, विभाग व शिक्षक तीनों जवाबदेह---
स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने के लिए विद्यालय परीक्षा समिति, विभाग और शिक्षक तीनों जवाबदेह है। छात्र के अनुपात पर शिक्षकों की बहाली होती है। प्राथमिक विद्यालय में छह शिक्षक पर 150 के करीब छात्र होने चाहिए। इसके लिए तीनों को अपने-अपने स्तर से इलाके में जाकर अभिभावकों को जागरूक करना चाहिए।
राज्य में 40 से कम छात्र वाले 1140 प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर दिया जाएगा। इसमें पढ़ रहे बच्चों और शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट किया जायेगा।
शिक्षकों पर फोड़ा ठीकरा---
विभागीय अधिकारी कम छात्रों का ठीकरा शिक्षकों के माथे फोड़ रहे हैं। उनका दावा है कि शिक्षकों की लापरवाही की वजह से स्कूलों में बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं। इन शिक्षकों का अपने-अपने विद्यालय क्षेत्रों में जाकर अभिभावकों को जागरूक करने का जिम्मा है ताकि हर घर से बच्चे स्कूल पहुंचे।
13 स्कूलों में एक भी बच्चा नहीं---
सूबे में कुल 13 ऐसे विद्यालय हैं जिसमें बच्चों का नामांकन शून्य है। इसके अलावा 171 स्कूलों में 1-20 तक ही बच्चों की संख्या है। 336 स्कूलों में 21-30 बच्चों की संख्या है। 620 स्कूलों में 31-39 तक बच्चों की संख्या है।
क्या है नियम---
यू-डायस 2017-18 की रिपोर्ट के आधार पर यह पता चला कि भागलपुर सहित प्रदेश के अन्य जिलों के प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों की संख्या 40 से कम है। जबकि बच्चों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 के मुताबिक उन्हीं जगहों पर प्राथमिक विद्यालय खोले जायेंगे जहां 6-14 आयुवर्ग के बच्चों की संख्या कम से कम 40 हो।
विद्यालय परीक्षा समिति, विभाग व शिक्षक तीनों जवाबदेह---
स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने के लिए विद्यालय परीक्षा समिति, विभाग और शिक्षक तीनों जवाबदेह है। छात्र के अनुपात पर शिक्षकों की बहाली होती है। प्राथमिक विद्यालय में छह शिक्षक पर 150 के करीब छात्र होने चाहिए। इसके लिए तीनों को अपने-अपने स्तर से इलाके में जाकर अभिभावकों को जागरूक करना चाहिए।
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