खगड़िया लोकसभा सीट-दूध, मक्का और केला उत्पादन में अव्वल पर
कोशी बिहार टुडे, सहरसा
खगड़िया लोकसभा क्षेत्र में इस बार विकास चुनावी मुद्दा बन सकता है।दरअसल सात नदियों से घिरा खगड़िया लोस क्षेत्र हर दृष्टिकोण से पिछड़ा है। दूध, मक्का, केला उत्पादन के लिए सूबे में अव्वल होने के बावजूद सरकारी स्तर पर अब तक खाद्य आधारित उद्योग नहीं लगे। हालांकि 2013 में प्रिस्टिन कंपनी द्वारा बिहार का पहला मेगा फूड पार्क स्थापित किया गया। लेकिन यहां अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है। हालांकि कुछ दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसित कौर फूडपार्क का उद्घाटन करने मानसी पहुची थी, लेकिन कुछ काम अधूरा रहने के कारण बिना उद्घाटन किये ही वापस चली गयी था।काफी वर्ष पूर्व यहां एक चर्म उद्योग लगा जो कुछ समय बाद ही बंद भी हो गया।
खगरिया लोकसभा चुनाव हर बार दिलचस्प रहा। इस लोकसभा का पहला चुनाव 1952 ईसवी में हुआ था। इस बार खगड़िया लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए एव महागठबंधन के बीच ही है। एनडीए से निवर्तमान सासंद चौधरी महबूब अली कैसर दूसरी बार एनडीए से है तो महागठबंधन से सन ऑफ मल्लाह के मुकेश सहनी चुनाव मैदान में डटे है। दोनों के द्वारा विकास के अपने अपने दावे किया ज रहा है। निवर्तमान सासंद श्री केसर जहा क्षेत्र में मोदी की विकास एव उनके द्वारा खगरिया में किया विकास गिना रहे है तो महागठबंधन के मुकेश सहनी बेहतर खगरिया का विकास करने की बात कर रहा है। इस चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में जी-जान से निर्दलीय नागेंद्र त्यागी भी लगे है। वही इस क्षेत्र में स्थानीय एव बाहरी उम्मीदवार को भी लेकर चोक-चौराहा पर चर्चा चल रहा है। 23 अप्रैल को होने वाले मतदान में इनलोगो के किस्मत का फैसला खगरिया के लगभग 16 लाख मतदाता करेंगे।
एक नजर-
पहला चुनाव : 1952
सांसद: सुरेशचंद्र मिश्र
वर्तमान सांसद: चौधरी महबूब अली कैसर
सर्वाधिक मत से जीते: रामशरण यादव (153221) 1991 में
सबसे कम मत से जीते: शिवशंकर यादव (548) 1971 में
सबसे कम प्रत्याशी 1957 व 1962 में तीन-तीन
सबसे ज्यादा उम्मीदवार 2009 में 20
कुल मतदाता: (2019)1653928
पुरुष मतदाता : 873363
महिला मतदाता : 780525
परियोजना अधूरी
खगड़िया-कुशेश्वरस्थान रेल परियोजना का काम 20 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका। 42 किमी लंबी इस परियोजना को 1998 में तत्कालीन रेलमंत्री राम विलास पासवान ने स्वीकृति दी थी। उस समय 2007 में ही पूरा करने का लक्ष्य था। लागत भी 162 करोड़ से बढ़कर साढ़े पांच सौ करोड़ हो गई। जानकारी के अनुसार इस पर कार्य पूर्व से चल रहा है।
कौन कब जीता---
1952: सुरेशचन्द्र मिश्र
1957/62: जिया लाल मंडल
1967: कामेश्वर सिंह
1971: शिवशंकर यादव
1977: ज्ञानेश्वर प्रसाद यादव
1980: सतीश प्रसाद सिंह
1984: चन्द्रशेखर प्रसाद वर्मा
1989/91: रामशरण यादव
1986: अनिल कुमार यादव
1998: शकुनी चौधरी
1999: रेणु कुमारी कुशवाहा
2004: आरके राणा
2009: दिनेश चन्द्र यादव
2014: चौधरी महबूब अली कैसर
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