कोसी नदी के डेंगराही घाट पर पूल निर्माण की मांग को लेकर युवक कर रहा है उपवास
बाढ़ आने के बाद भी चोंकी लगाकर उपवास पर जमे रहे, दियारा वासी में जबरदस्त आक्रोश
कोशी बिहार, टुडे, सहरसा
विगत 30 मई से सलखुआ प्रखंड के डेंगराही घाट पर पूल निर्माण की मांग को लेकर सलखुआ के ही कबीरा गांव निवासी भूषण कुमार उपवास पर है। स्थिति ये है कि भूषण कुमार का प्रशासनिक पदाधिकारी इनका सुध नही ले रहा है। भूषण कुमार के उपवास का 90 दिन पूरा हो गया, वावजूद अपनी मांगे पर अड़ा है।
क्या है मांग---
भूषण कुमार ने तीन मांगे मांगा है। पहला डेंगराही पुल निर्माण हो। उपवास स्थल पर लगे पोस्टर में लिखा है कि भारत के सबसे कम समय में बननेवाले पुल के निर्माण की शुरुआत डेंगराही घाट से हो। साथ ही फरकिया क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो। वही, दूसरा कोसी क्षेत्र में एम्स के निर्माण हो। उसने लिखा है कि बिहार के दूसरे एम्स के निर्माण का कार्य सहरसा में प्रारंभ हो।
तीसरा सबसे रोचक मांग है---
उपवास पर बैठे भूषण कुमार का तीसरा मांग रोचक है।भूषण ने तीसरे मांग में लिखा है कि विश्व के जिस भी देश में पर्याप्त वन नहीं है, वहां पर्याप्त मात्रा में वन हो और उस वन की रक्षा उसी तरह हो, जिस तरह वहां की सेना उस देश की रक्षा करती है।
तपस्या में मौत मिली, तो अंग करेगा दान
भूषण कुमार ने उपवास स्थल पर लगाये तस्वीर में लिखा है कि अगर मेरी तपस्या में कमी के कारण मांग पूरा होने से पहले मेरा अंत हो जाये, तो मेरे शरीर के सारे उपयोगी अंग को बाहर कर जरूरतमंद को दान कर दें।
पूल की मांग को लेकर 17 फरवरी 17 को पहले हुआ था अनशन---
17 फरवरी 17 को खगड़िया जिले के समाजसेवी बाबूलाल शौर्य के अगुआई में आमरण-अनशन प्रारम्भ हुआ था। उस समय 17 दिन चले इस आमरण अनशन में उस समय विपक्ष के नेता प्रेम कुमार ने 8 मार्च को अनशन तोड़वाया था। तब तत्कालीन जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल के द्वारा एक 6 सदस्यीय टीम बनाकर सर्वे कराया था। उस समय पूल निर्माण के उपमुख्य अभियंता सुरेंद्र यादव के नेतृत्व में टीम डेंगराही घाट पर पहुचा था। डेंगराही घाट पर कितना किलोमीटर पूल का निर्माण हो इसका अध्ययन किया था। फिर खगड़िया के सोनमनखी के पीछे नदी से कितने किलोमीटर का पूल का निर्माण होगा। फिर पूल से 20 किलोमीटर कनेक्टिंग सड़क का निर्माण भी करना पड़ेगा। हालांकि उस समय पूल एव कनेक्टिंग सड़क निर्माण पर एक अनुमान लगाया गया था कि कम से कम 1800 करोड़ खर्च होगा जो झारखंड के सालाना बजट से थोड़ा कम है।
इस संबंध में सलखुआ सीओ श्यामकिशोर यादव ने कहा कि हमने क्षेत्र के कुछ प्रतिनिधि से उपवास तोड़वाने के लिये कहा था। हम तो एक महीने पहले ही आये है। हम खुद उपवास स्थल पर जाएंगे।
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