मंगलवार, 15 सितंबर 2020

चुनाव से पहले एम्स का तोहफा:दरभंगा में 1264 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा बिहार का दूसरा एम्स, चार साल में पूरा होगा 750 बेड का अस्पताल


दरभंगा एम्स बनने से न केवल उत्तर बिहार के बल्कि नेपाल तक के लोगों को फायदा होगा। 

कोशी बिहार टुडे, सहरसा



दरभंगा एम्स में 100 एमबीबीएस, 60 बीएससी नर्सिंग व एमडी-एमसीएच जैसी सुपर स्पेशिलिटी डिपार्टमेंट भी होगा

वित्त मंत्रालय से पहले ही मिल चुकी है हरी झंडी, खर्च होगा 1264 करोड़


विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले केंद्र से बिहार को सौगात मिलने का सिलसिला जारी है। मंगलवार को नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने बिहार के लोगों को एक और तोहफा दिया। दरभंगा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को मंजूरी दी। इसके साथ ही बिहार में पटना के बाद दूसरा एम्स बनने का रास्ता साफ हो गया है।


दरभंगा एम्स, 750 बेड का होगा। 1264 करोड़ रुपए की लागत से यह एम्स करीब 48 महीने में बनकर तैयार होगा। दरभंगा एम्स में एमबीबीएस की 100 सीटें, बीएससी नर्सिंग की 60 सीटें निर्धारित की गई हैं। इसमें 15 से 20 सुपर स्पेसिलिटी डिपार्टमेंट भी होगा। इसका निर्माण प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत किया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के बजट भाषण में दरभंगा एम्स की घोषणा की थी। एम्स बनने से प्रत्यक्ष रूप से करीब 3000 लोगों को रोजगार मिलने की भी उम्मीद है।

डायरेक्टर के एक पद सृजन को भी मंजूरी

केंद्रीय कैबिनेट ने दरभंगा एम्स के लिए डायरेक्टर के एक पद के सृजन को भी मंजूरी दी है। डायरेक्ट के लिए मूल वेतन 225000 रुपए निर्धारित किए गए हैं। अलाउंसेज आदि मिलाकर 237500 रुपए से अधिक नहीं, तय किया है।

वित्त मंत्रालय ने 25 अगस्त को ही 1264 करोड़ की दी थी मंजूरी

दरभंगा में एम्स के निर्माण पर खर्च होने वाली 1264 करोड़ रुपए की मंजूरी वित्त मंत्रालय ने पहले ही दे दी थी। 25 अगस्त को केंद्रीय वित्त सचिव की अध्यक्षता में हुई व्यय वित्त समिति की बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय के प्राइमरी प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर वित्त मंत्रालय ने मुहर लगाते हुए अनुमानित राशि की स्वीकृति दे दी। प्राइमरी प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार दरभंगा एम्स 750 बेड का होगा और इसके निर्माण कार्य पर 1264 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है।


उत्तर बिहार के लोगों को होगा फायदा

दरभंगा एम्स बनने से न केवल उत्तर बिहार के बल्कि नेपाल तक के लोगों को फायदा होगा। खासकर के बेतिया से लेकर कोसी और सीमांचल के सहरसा, सुपौल और पूर्णियां तक के लोगों स्वास्थ्य क्षेत्र में इसका फायदा होगा। उत्तर बिहार के लोगों को पटना पर निर्भरता कम होगी। इनपुट-दैनिक भास्कर

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