कोशी बिहार टुडे, सहरसा
राष्ट्रीय जनता दल ने शनिवार को संकेत दिया कि अगर अरुणाचल प्रदेश में दलबदल के घटनाक्रम के बाद यदि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के साथ संबंध तोड़ लेते हैं, तो उसके साथ नए सिरे से गठबंधन की संभावनाएं बन सकती हैं।
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने स्पष्ट किया कि गेंद जद(यू) नेतृत्व के पाले में हैं, जिन्हें समझना चाहिए कि अरुणाचल प्रदेश में जद(यू) विधायकों के सामूहिक रूप से भाजपा में शामिल होने के घटनाक्रम का मकसद ‘पुरानी बातों का बदला लेना’ है। तिवारी ने एक दशक पहले की बात याद की, जब नीतीश ने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भाग लेने पटना आए पार्टी नेताओं के लिए आयोजित रात्रिभोज रद्द कर दिया था।
मोदी भूलने या माफ करने वाले नहीं
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा, ‘‘नीतीश कुमार ने तब साफ कर दिया था कि उन्हें भाजपा से कोई दिक्कत नहीं हैं, लेकिन वह गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ थे। मोदी ऐसे आदमी हैं, जो इस चीज को भूलने वाले और माफ करने वाले नहीं हैं।’’
चिराग पासवान के विरोध का ही हिस्सा है
कुछ समय तक जद(यू) के साथ रह चुके राजद के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश का घटनाक्रम चिराग पासवान के विद्रोह के साथ शुरू हुए घटनाक्रम का हिस्सा है। लोजपा अध्यक्ष पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजग से समर्थन वापस ले लिया था और नीतीश को सत्ता से हटाने का संकल्प लिया था। लोजपा को चुनाव में ज्यादा सफलता नहीं मिली लेकिन उसने कई सीटों पर भाजपा के बागियों को उतारकर जद(यू) के वोटबैंक में सेंध लगाने में सफलता हासिल की।
तिवारी ने कहा कि भाजपा की रणनीति पहले नीतीश कुमार का कद छोटा करने की थी, जिसमें वह विधानसभा चुनाव में सफल हुई। अब उसने उन्हें अपमानित करना शुरू कर दिया है। अरुणाचल प्रदेश में जद(यू) के छह विधायकों के भाजपा में जाने की और क्या व्याख्या की जा सकती है, जबकि भाजपा पहले ही राज्य में बहुमत में है। इनपुट-अमर उजाला
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