इस बार हज पर जाने वाले लोगो को ये बाते ध्यान रखने की बहुत जरूरत है। बैठक में बताया गया कई बातें
महेन्द्र प्रसाद, सहरसा
सिमरी बख्तियार पुर के रानी हाट मस्जिद में गुरुवार को एकदिवसीय हज प्रशिक्षण कैंप लगाया गया। इस प्रशिक्षण केम्प में सहरसा, मधेपुरा जिला के 150 महिला व पुरुष हज यात्रियों को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षक असगर अली ने यात्रियों को प्रैक्टिकल के जरिए हज अदा करने के एक-एक पहलु को बारीकी से समझाया। इस मौके पर एहराम, तवाफ, दौड़, शैतान को कंकड़ मारना, मुकद्दस मकामात पर पढ़ी जाने वाली दुआओं पर भी रौशनी डाली गई।मौलाना जिया उद्दीन नदवी ने बताया कि हज इस्लाम का अहम फरीजा है। इसे खुलूसों दिल से अदा करना चाहिए। उन्होंने हज यात्रियों को घर से रवाना होने से लेकर लौटकर आने तक के सारे मसलों और आने वाली समस्याओं के समाधान के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर मुफ्ती फैयाज ने हज के दौरान जिन चीजों से दूर रहना और बचना है उस पर विस्तार से चर्चा की। मौलाना मोजाहिरूल हक कासमी ने मदीने के आदाब पर चर्चा करते हुए कहा कि मदीना नबी का शहर है और अगर वहां बेअदबी हुई तो नबी ए पाक नाराज हो जायेंगे। इस अवसर पर ईमारत शरिया के मुफ्ती सईदुर रहमान कासमी ने बताया कि हज और उमरा के सफर को आसान बनाने के लिए बेहतर होगा कि हज के अरकान व मसाईल को अच्छी तरह से सीख लें। उन्होंने कहा कि हज पर जाने वाले हज के बारे में विस्तार से पहले ही सीख लें जिससे कि वहां जाने के बाद इबादत में किसी प्रकार की कठिनाईयों का सामना न करना पड़े।
इस अवसर पर मास्टर ट्रेनर व ईमाम संघ के अध्यक्ष हाफिज मोहम्मद मुमताज रहमानी ने हज यात्रा के प्रशासनिक नियमों व सऊदी कानून और आदेशों के संबंध में विस्तार से बताया और हज यात्रियों से सरकारी नियमों का हर हाल में पालन व सम्मान का आग्रह किया। इस प्रशिक्षण कैंप में एहराम बांधने, तवाफ करने, शैतान को कंकड़ मारने, सफा मरवा पहाड़ियों के दौड़ सहित मुकद्दस स्थानों की जियारत व दुआओं आदि के बारे में जानकारी दी गई। इस से पूर्व कारी मंजर आलम के तलावत कुरान और अख्तर आलम के नाते नबी से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस कार्ययक्रम को कामयाब बनाने मैं मोo अफसर आलम, मो o अकील आलम،इकबाल आलम, डॉ असरार,आदि उपस्थित थे।
महेन्द्र प्रसाद, सहरसा
सिमरी बख्तियार पुर के रानी हाट मस्जिद में गुरुवार को एकदिवसीय हज प्रशिक्षण कैंप लगाया गया। इस प्रशिक्षण केम्प में सहरसा, मधेपुरा जिला के 150 महिला व पुरुष हज यात्रियों को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षक असगर अली ने यात्रियों को प्रैक्टिकल के जरिए हज अदा करने के एक-एक पहलु को बारीकी से समझाया। इस मौके पर एहराम, तवाफ, दौड़, शैतान को कंकड़ मारना, मुकद्दस मकामात पर पढ़ी जाने वाली दुआओं पर भी रौशनी डाली गई।मौलाना जिया उद्दीन नदवी ने बताया कि हज इस्लाम का अहम फरीजा है। इसे खुलूसों दिल से अदा करना चाहिए। उन्होंने हज यात्रियों को घर से रवाना होने से लेकर लौटकर आने तक के सारे मसलों और आने वाली समस्याओं के समाधान के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर मुफ्ती फैयाज ने हज के दौरान जिन चीजों से दूर रहना और बचना है उस पर विस्तार से चर्चा की। मौलाना मोजाहिरूल हक कासमी ने मदीने के आदाब पर चर्चा करते हुए कहा कि मदीना नबी का शहर है और अगर वहां बेअदबी हुई तो नबी ए पाक नाराज हो जायेंगे। इस अवसर पर ईमारत शरिया के मुफ्ती सईदुर रहमान कासमी ने बताया कि हज और उमरा के सफर को आसान बनाने के लिए बेहतर होगा कि हज के अरकान व मसाईल को अच्छी तरह से सीख लें। उन्होंने कहा कि हज पर जाने वाले हज के बारे में विस्तार से पहले ही सीख लें जिससे कि वहां जाने के बाद इबादत में किसी प्रकार की कठिनाईयों का सामना न करना पड़े।
इस अवसर पर मास्टर ट्रेनर व ईमाम संघ के अध्यक्ष हाफिज मोहम्मद मुमताज रहमानी ने हज यात्रा के प्रशासनिक नियमों व सऊदी कानून और आदेशों के संबंध में विस्तार से बताया और हज यात्रियों से सरकारी नियमों का हर हाल में पालन व सम्मान का आग्रह किया। इस प्रशिक्षण कैंप में एहराम बांधने, तवाफ करने, शैतान को कंकड़ मारने, सफा मरवा पहाड़ियों के दौड़ सहित मुकद्दस स्थानों की जियारत व दुआओं आदि के बारे में जानकारी दी गई। इस से पूर्व कारी मंजर आलम के तलावत कुरान और अख्तर आलम के नाते नबी से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस कार्ययक्रम को कामयाब बनाने मैं मोo अफसर आलम, मो o अकील आलम،इकबाल आलम, डॉ असरार,आदि उपस्थित थे।
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