मंगलवार, 3 जुलाई 2018

कुत्ते काटने से दो बच्चे के मौत के बाद पूरा टोला के ही लोगो को रेबीज की सुई अपने बच्चे को देने का लगा रहा होड़
महेंद्र प्रसाद, सहरसा


आज भी अंधविश्वास लोगो के बीच खासकर ग्रामीण क्षेत्रो में जड़ जमाये हुए है। इसी अंधविश्वास ने महखड़ पंचायत के बगरोली गांव में दो बच्चे मौत की मुह में समा गया। जब दो बच्चे की मौत हो गया तब जाकर बांकी जो बच्चे को कुत्ता ने अपने चंगुल से घायल किया था, उसे अनुमंडलीय अस्पताल में लाकर रेबीज का सुई दिलाया गया। 
दो बच्चे की हो गया मौत---
बीते रविवार को कुत्ता के काटने से राजकुमार दास के पुत्र अंकुश कुमार 6 वर्ष, वार्ड नंबर 5 का मौत हो गया। मृतक के पिता ने बताया कि 2 जून को मेरे बेटे को कुत्ता काटा। मेने गांव में ही झाड़फूंक करा दिया। जब 25 जून को मेरे बेटे की अचानक तबियत खराब हो गया। सहरसा प्राइवेट अस्पताल में ले गया। वहां अस्पताल ले गया। अस्पताल से डीएमसीएच दरभंगा रेफर कर दिया।अस्पताल ले जाते समय रास्ते मे मौत हो गया। इसी तरह शंभु दास की 2 वर्षीय बेटी अंकुश कुमार का ताबियत अचानक बीते सोमवार को हो गया। सहरसा दिखाने गया। सहरसा से रेफर दरभंगा रेफर कर दिया। रास्ते मे ही मंगलवार की सुबह मौत हो गया।

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        मृतक दोनो बच्चे

लगभग एक दर्जन बच्चे को जख्मी भी किया----
जब इन दो बच्चे की मौत हुई तब जाकर बांकी लोग जागरूक हुआ। अस्पताल में सुई लेने का होड़ लग गया। जो बच्चे की मौत हुआ उनके साथ जो खेला, उनमें भी सुई का होड़ लग गया।लगभग एक दर्जन से ज्यादा बच्चे सिमरी अनुमंडलीय अस्पताल रेबीज का सुई दिलाने लाया। लगभग एक दर्जन बच्चे को रेबीज का सुई दिया गया। जिन बच्चे को सुई दिया गया उनमें जुली कुमारी, नीति कुमारी, विवेक कुमार, ममता देवी, विनय कुमार, पवित्तर दास, निरंजन दास, राधिका कुमारी, शंभु दास, राजो देवी, राहुल कुमार, बन्दना कुमारी, अनुराधा कुमारी को अस्पताल में सुई दिया गया। 
क्या कहते है चिकिस्तक---
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिमरी बख्तियारपुर के प्रभारी डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि जो दो बच्चे की मौत हुई है जरूरी नही है कि कुत्ता काटने से ही हुई है। कुछ लक्षण होते है। डीएमसीएच में डॉग बाईट लिखा है। हो सकता है। जो अस्पताल में सुई लिया है, कोई इनका साइड इफेक्ट नही है। कुत्ता काटने का असर 21 साल बाद दिखाई देता है। अगर आपने रेबीज का सुई नही दिया है तब। 

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