रविवार, 16 सितंबर 2018

भगवान राम के ससुराल जनकपुर से अब ट्रैन से जायेगे बिहार अयोध्या होते दिल्ली तक
जनकपुर से सीधे दिल्ली तक मधुबनी, दरभंगा रास्ते चलेगी ट्रैन
महेंद्र प्रसाद, सहरसा

भारत और नेपाल के बीच छुकछुक चलने वाली ट्रेन की परिचालन का समय खत्म हो गया है। 21वीं सदी में मित्र देश नेपाल, भारत के सबसे बड़ी नेटवर्क रेल से जुड़ गया है। भारत की लंबी दूरी की ट्रेन शहीद और सरयू यमुना एक्सप्रेस की परिचालन दोनों देशों के बीच शुरू हो जाने पर जगत जननी सीता की नगरी जनकपुर सीधे तौर पर अयोध्या और पंजाब के स्वर्ण मंदिर से जुड़ जाएगी। वही देश के करोड़ों श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए नेपाल के जनकपुर स्थित विश्व प्रसिद्ध रामजानकी मंदिर जाने का रास्ता आसान हो जाएगा। जिससे नेपाल में पर्यटकों की संख्या में तेजी आएगी।  रेलवे की वरीय अधिकारियों के बीच इसे लेकर चर्चा चल रही है। कुछ माह पूर्व नेपाल के जनकपुर दौरे पर आए प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान नेपाल के प्रमुख तीर्थ स्थल को भारत के तीर्थ स्थलों से जोड़ने की बात कही थी। रेल सूत्रों ने बताया कि आने वाले दिनों में जयनगर वर्दीवास रेलखंड पर लंबी दूरी की ट्रेन शहीद का परिचालन हो सकता है। इसके लिए जयनगर रेलवे स्टेशन की ट्रैक को नेपाली ट्रैक में जोड़ना होगा। शहीद अमृतसर से दिल्ली, लखनऊ, गोरखपुर छपरा होते जयनगर आती है। अमृतसर से चार दिन शहीद 14673 व तीन दिन सरयू यमुना 14649 बन कर खुलती है। सरयू यमुना दिल्ली लखनऊ, अयोध्या, फैजबाद होते हुए जयनगर आती है। इसी साल के अंत तक दोनों देशों के बीच पहली बार ब्रॉडगेज पर डीएमयू ट्रेन की परिचालन शुरू होगा।से इजाफा होगा।
मार्च 2014 में नैरो गेज के बंद हो जाने के बाद बड़ी लाइन का काम शुरू हुआ था। तीन चरणों में यह लाइन वर्दीवास तक बनाई जाएगी। पहले चरण में जयनगर कुर्था तक रेलवे लाइन का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। इसके लिए रेलवे इरकॉन काे इसका ट्रेंडर दिया था। गत दिनों ने इस रेलवे लाइन पर इंजन से ट्रायल शुरू भी कर दिया है। अक्टूबर माह में इस लाइन पर मालगाड़ी को चलाया जाएगा। इसके बाद दिसंबर में 10 डिब्बों की डीएमयू ट्रेन को चलाने की योजना है। उसके बाद लंबी दूरी ट्रेनों को इस रेलवे ट्रैक पर चलाया जाएगा। इसके लिए रेलवे अधिकारी और नेपाल के अधिकारी मंथन कर रहे हैं।
1928 से दोनों देशों के बीच नैरो गेज पर ट्रेन परिचालन होता था। 12 वर्षों तक अंग्रेज ट्रेन के माध्यम से नेपाल के जंगलों से साल लकड़ी लाते थे। 1940 में दरभंगा महाराज ने नेपाल सरकार के आग्रह पर जयनगर स्थित नेपाली स्टेशन वाली भूखंड नेपाल सरकार को लीज पर दिया था। तब से दोनों देशों के बीच नैरो गेज पर ही यात्री ट्रेन सेवा शुरू थी। बड़ी रेल लाइन निर्माण को लेकर 2014 से दोनों देशों के बीच रेल सेवा बंद है। नैरो गेज से सीधे ब्रॉडगेज में तब्दील हो जाने से दोनों देशों के नागरिकों में विकास की कई संभावनाएं जगी है।
समस्तीपुर के एडीआरएम संत लाल मीना बताया कि बताया नेपाली ब्रॉडगेज भारतीय ब्रॉडगेज से जुड़ गई है। रेल परिचालन के संबंध में उन्होंने कुछ बताने से बचते हुए कहा कि ये दो देशों का मामला है। भारत सरकार की करीब 700 करोड़ की जयनगर वर्दीवास रेल परियोजना आपसी रिश्तों में मिठास घोलते हुए और दोनों देशों को और अधिक नजदीक लाने की दिशा में बढ़ गई है। इसको लेकर दोशों के लोगों में उत्साह है। भारत एव नेपाल का रिश्ता रोटी-बेटी का है।

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