शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

25 वर्ष के बाद मिला अनुमंडल को नया भवन
अनुमंडल  में 26 वा स्थापना दिवस को लेकर तैयारी अंतिम चरण
22 सितंबर 1992 को मिला था अनुमंडल का दर्जा, तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव ने किया था अनुमंडल का उद्घाटन
महेंद्र प्रसाद, सहरसा

सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल अपने स्थापना के 26 वां वर्षगांठ 22 सितंबर को मनायेगा। इतने वर्षो में अब अनुमंडल को अपना भवन मिला है। सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल प्रत्येक साल दर साल अपना स्थापना दिवस मना रहा। अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत तीन प्रखंड सिमरी बख्तियारपुर,सलखुआ व बनमा ईटहरी  है। इस अनुमंडल को 22 सितंबर 1992 को अनुमंडल का दर्जा मिला था। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने उद्घाटन किया था। उस समय सिमरी बख्तियारपुर के लोग काफी खुश हुआ था। इस अनुमंडल को बनबाने में तत्कालीन विधायक एव वर्तमाम आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेश चंद्र यादव का योगदान था, की सिमरी बख्तियारपुर के लोगो को अनुमंडल मिला। 
सोनबरसा राज प्रखंड के लोगो ने किया था काफी हंगामा----
कहा जाता है कि 22 सितंबर 1992 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सिमरी बख्तियारपुर पहुच नए अनुमंडल का घोषणा किया था, उसी दिन सोनबरसा राज प्रखंड के मनोरी चोक पर लोगो ने काफी हंगामा किया था। इसमें मधेपुरा के विधयाक चंद्रशेखर घायल भी हो गया था। खुद चंद्रशेखर ने भी सिमरी बख्तियारपुर में अनुमंडल स्थापना दिवस के अवसर पर बीते वर्ष ये बात कहा था।
समय के साथ आगे भी बढ़ा अनुमंडल---
अनुमण्डल बनने के बाद सिमरी को नगर पंचायत, निबंधन कार्यालय, आई टी आई, नर्सिंग स्कूल मिला।लेकिन कई समस्या भी है, जिससे लोगो को लाभ नही मिला है। 5 करोड़ की लागत से 100 शैय्या वाला भव्य अनुमंडल अस्पताल तो बनाया गया लेकिन अनुमंडल अस्पताल में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जैसी भी सुविधा नही हैं। यहां संसाधन के अभाव में मरीज का ठीक से इलाज नही हो पा रहा है। कई मशीने है लेकिन कर्मी के कमी से कारण संचालित नही हो रहा है। बेहतर इलाज के लिए आज भी लोगों को सहरसा, बेगुसराय या पटना जाना पड़ता हैं। निबंधन कार्यालय व नगर पंचायत कार्यालय भी अन्य सरकारी भवनों में चलाए जा रहे हैं। अनुमंडल क्षेत्र में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं होने से यहां के छात्रों को जिले व अन्य जिलों में जाना पड़ रहा है। क्षेत्र से गुजरने वाले राष्ट्रीय उच्च पथ 107 की दशा किसी से छिपी नही है सड़क ईतनी जर्जर हो चुकी है की पैदल भी चलने लायक नही बची है। सिमरी बख्तियारपुर एवं सलखुआ बाजार में नाला नहीं रहने से पानी का जमाव सड़कों पर ही रहता है। अनुमंडल मुख्यालय सहित क्षेत्र के सभी बाजार अतिक्रमणकारियों की चपेट में हैं। क्षेत्र में शिक्षा एवं विद्यालय की स्थिति भी दयनीय हैं। विद्यालयों में शिक्षकों की कमी रहने के बावजूद अधिकांश शिक्षक अनुपस्थित रहते हैं क्षेत्र के 12 पंचायत में तटबंध के अंदर रहने वाले ग्रामीण आज भी मुश्किल भरी जिन्दगी जी रहे हैं।तबियत खराब होने पर खाट ही इनका एम्बुलेंस होता है। नदी पार करने और अस्पताल पहुंचने तक खाट एंबुलेंस पर सवार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।

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