जाबांज थानाध्यक्ष था आशीष कुमार सिंह, इलाके के अपराधी नाम सुनते ही उनकी पेंट हो जाती थी गीली
सरोजा के लाल ने शेर की तरह लड़ते दुनिया को कह दिया अलविदा
ऐसे जवांज पुलिस अफसर को शत शत नमन
कोशी बिहार टुडे
अनुमंडल के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के सरोजा ग्राम निवासी 40 वर्षीय पुलिस ऑफिसर खगरिया जिले के पसराहा के जांबाज थाना अध्यक्ष आशीष कुमार शुक्रवार को अपराधियों के साथ मुठभेड़ करते हुए अंततः शहीद हो गया। शहीद होने की खबर जैसे ही थाना अध्यक्ष के पैतृक गांव सरोजा के ग्रामीणों को मिला, वैसे ही गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया। ग्रामीणों को सहज विश्वास नहीं हो रहा था, कि गांव का अफसर बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। घर के बाहर बरामदे पर फफक फफक रोते वृद्ध पिता की सूनी आंखों अबभी अपने बेटे को तलाश रहा है। वहीं घर के बरामदे पर लगी चारपाई पर बेसुध लेटी ममतामयी मां के आंसू से समूचा वातावरण गमननीत है। रोती, चिखती मां की सूनी आंखें अब भी अपने पुलिस अफसर बेटे की तलाश है। ऐसी स्थिति में वहां उपस्थित हर कोई लोगो की आंखें मां की चित्कार को सुनकर पलक से आंसू निकल पड़ते हैं।
थानाध्यक्ष आशीष कुमार के पिता गोपाल सिंह, मां रुकमणी देवी अपने के सवसे छोटे एवं तीसरे बेटे को बड़े ही लाड़ प्यार से पाला था। पुलिस अफसर की नौकरी मिलने पर मिठाइयां बांटी गई थी। अब वही पुलिस की नौकरी उनके चिराग को बुझा दिया। बेटे के शहीद होने का दर्द मां पिता को रह रह कर शाल रहा है। शनिवार की सुबह से ही शहीद आशीष सिंह के शुभचिंतक एवं गांव वाले का उनके घर पर आने जाने कि लगातार तांता लगा हुआ है। शहीद आशीष सिंह के पिता गोपाल सिंह बताते हैं कि शुक्रवार की रात 11:00 बजे बेटे ने मोबाइल से वार्तालाप हुआ कि पापा हम दुर्गा पूजा में घर आ रहे हैं। हालांकि डिपार्टमेंट से छुट्टी नहीं मिल रही है। बावजूद 1 दिन के लिए ही सही लेकिन मैं आऊंगा। लेकिन पिता गोपाल सिंह को क्या मालूम था कि रात में आने की बात करने वाला उसका बेटा अब शहीद बन कर आएगा। शहीद आशीष सिंह की मां रुकमणी देवी दुर्गे मां का नाम लेकर रोते-रोते बताती है, कि 8:30 में मेरी बातें मोबाइल से बेटे से बात हुई थी। आशीष सिलीगुड़ी में पढ़ रहे 7 वर्षीय बेटे शौर्य मानसिंह एवं बेटी 5 साल की गुड़िया को लेकर शुक्रवार को खगड़िया जिले के पसराहा लेकर आया था। पोते पोती सहित बेटे की झलक देखने की चाह में उसने अपने बेटे को पोते पोती को साथ लेकर शनिवार के सुबह तक आने की बात कही थी। गंभीर बीमारी सें से पीड़ित शहीद की मां रुकमणी देवी एवं पत्नी सरिता सिंह कुछ ही दिन पहले पसराहा से अपने गांव दुर्गा पूजा में शरीक होने आयी थी। गांव का चहेता सामाजिक कार्यकर्ता एवं धार्मिक प्रवृत्ति के पुलिस अफसर ने गांव दुर्गा पूजा के अवसर पर प्रत्येक वर्ष सरोजा के प्रसिद्ध दुर्गा माता का मंदिर भगवती स्थान में इस बार मिट्टी की प्रतिमा स्थापना का पूरा खर्च अपने तनख्वाह के पैसे से करा रहा था। इसलिए पूर्व में ही अपनी मां एवं पत्नी जो कि पसराहा में रह रही थी। मां अंबे की पूजा अर्चना करने हेतु अपने गांव सरोजा भेज दिया था। घटना की सूचना मिलने पर शहीद की पत्नी सरिता सिंह अपने परिजन के साथ सुवह में पसराहा पहूंच चूकी है। ग्रामवासी एवं अन्य परिजन शहीद की लाश आने की प्रतीक्षा में अपना समय गुजार रहे हैं। वही शहीद के बड़े भाई देहरादून में सर्विस कर रहे बिपुल सिंह एवं पटना विजिलेंस में कायंरत राकेश सिंह को सूचना मिलते ही घर की ओर प्रस्थान कर गए हैं। मालूम हो कि शुक्रवार की रात खगड़िया नौगछिया सीमा स्थित सलारपुर मोज़मा दियारा में पुलिस व अपराधियों की मुठभेड़ में सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड निवासी एवं खगड़िया जिले के पसराहा थानाध्यक्ष आशीष कुमार शहीद हो गए। शहीद ने एक डकैत को भी मार गिराए जाने की खबर है। इस गोलाबारी में सिपाही दुर्गेश यादव घायल हुए हुए हैं। दुर्गेश का भागलपुर में इलाज चल रहा है।
घटना के संबंध में बताया गया कि शुक्रवार की देर रात पसराहा पुलिस को यह सूचना मिली कि सलारपुर दियारा में खगड़िया एवं नौगछिया इलाके के अपराधियों का जमावड़ा हो रहा है। इसके बाद थानाध्यक्ष आशीष कुमार सदलबल के साथ दियारा की और कूच कर गए। इधर पुलिस को आते देख डकैतों ने तावड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने भी गोली चलानी शुरू कर दी।इस हादसे में थानाध्यक्ष आशीष शहीद हो गए।
मालूम हो कि 2009 बैच के दारोगा आशीष कुमार 2016 में खगड़िया के मुफस्सिल थाना भदास क्षेत्र में अपराधियों से मुठभेड़ में घुटना में गोली लगने से घायल हुए थे।
सौजन्य-हिन्दुतान
सरोजा के लाल ने शेर की तरह लड़ते दुनिया को कह दिया अलविदा
ऐसे जवांज पुलिस अफसर को शत शत नमन
कोशी बिहार टुडे
अनुमंडल के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के सरोजा ग्राम निवासी 40 वर्षीय पुलिस ऑफिसर खगरिया जिले के पसराहा के जांबाज थाना अध्यक्ष आशीष कुमार शुक्रवार को अपराधियों के साथ मुठभेड़ करते हुए अंततः शहीद हो गया। शहीद होने की खबर जैसे ही थाना अध्यक्ष के पैतृक गांव सरोजा के ग्रामीणों को मिला, वैसे ही गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया। ग्रामीणों को सहज विश्वास नहीं हो रहा था, कि गांव का अफसर बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। घर के बाहर बरामदे पर फफक फफक रोते वृद्ध पिता की सूनी आंखों अबभी अपने बेटे को तलाश रहा है। वहीं घर के बरामदे पर लगी चारपाई पर बेसुध लेटी ममतामयी मां के आंसू से समूचा वातावरण गमननीत है। रोती, चिखती मां की सूनी आंखें अब भी अपने पुलिस अफसर बेटे की तलाश है। ऐसी स्थिति में वहां उपस्थित हर कोई लोगो की आंखें मां की चित्कार को सुनकर पलक से आंसू निकल पड़ते हैं।
थानाध्यक्ष आशीष कुमार के पिता गोपाल सिंह, मां रुकमणी देवी अपने के सवसे छोटे एवं तीसरे बेटे को बड़े ही लाड़ प्यार से पाला था। पुलिस अफसर की नौकरी मिलने पर मिठाइयां बांटी गई थी। अब वही पुलिस की नौकरी उनके चिराग को बुझा दिया। बेटे के शहीद होने का दर्द मां पिता को रह रह कर शाल रहा है। शनिवार की सुबह से ही शहीद आशीष सिंह के शुभचिंतक एवं गांव वाले का उनके घर पर आने जाने कि लगातार तांता लगा हुआ है। शहीद आशीष सिंह के पिता गोपाल सिंह बताते हैं कि शुक्रवार की रात 11:00 बजे बेटे ने मोबाइल से वार्तालाप हुआ कि पापा हम दुर्गा पूजा में घर आ रहे हैं। हालांकि डिपार्टमेंट से छुट्टी नहीं मिल रही है। बावजूद 1 दिन के लिए ही सही लेकिन मैं आऊंगा। लेकिन पिता गोपाल सिंह को क्या मालूम था कि रात में आने की बात करने वाला उसका बेटा अब शहीद बन कर आएगा। शहीद आशीष सिंह की मां रुकमणी देवी दुर्गे मां का नाम लेकर रोते-रोते बताती है, कि 8:30 में मेरी बातें मोबाइल से बेटे से बात हुई थी। आशीष सिलीगुड़ी में पढ़ रहे 7 वर्षीय बेटे शौर्य मानसिंह एवं बेटी 5 साल की गुड़िया को लेकर शुक्रवार को खगड़िया जिले के पसराहा लेकर आया था। पोते पोती सहित बेटे की झलक देखने की चाह में उसने अपने बेटे को पोते पोती को साथ लेकर शनिवार के सुबह तक आने की बात कही थी। गंभीर बीमारी सें से पीड़ित शहीद की मां रुकमणी देवी एवं पत्नी सरिता सिंह कुछ ही दिन पहले पसराहा से अपने गांव दुर्गा पूजा में शरीक होने आयी थी। गांव का चहेता सामाजिक कार्यकर्ता एवं धार्मिक प्रवृत्ति के पुलिस अफसर ने गांव दुर्गा पूजा के अवसर पर प्रत्येक वर्ष सरोजा के प्रसिद्ध दुर्गा माता का मंदिर भगवती स्थान में इस बार मिट्टी की प्रतिमा स्थापना का पूरा खर्च अपने तनख्वाह के पैसे से करा रहा था। इसलिए पूर्व में ही अपनी मां एवं पत्नी जो कि पसराहा में रह रही थी। मां अंबे की पूजा अर्चना करने हेतु अपने गांव सरोजा भेज दिया था। घटना की सूचना मिलने पर शहीद की पत्नी सरिता सिंह अपने परिजन के साथ सुवह में पसराहा पहूंच चूकी है। ग्रामवासी एवं अन्य परिजन शहीद की लाश आने की प्रतीक्षा में अपना समय गुजार रहे हैं। वही शहीद के बड़े भाई देहरादून में सर्विस कर रहे बिपुल सिंह एवं पटना विजिलेंस में कायंरत राकेश सिंह को सूचना मिलते ही घर की ओर प्रस्थान कर गए हैं। मालूम हो कि शुक्रवार की रात खगड़िया नौगछिया सीमा स्थित सलारपुर मोज़मा दियारा में पुलिस व अपराधियों की मुठभेड़ में सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड निवासी एवं खगड़िया जिले के पसराहा थानाध्यक्ष आशीष कुमार शहीद हो गए। शहीद ने एक डकैत को भी मार गिराए जाने की खबर है। इस गोलाबारी में सिपाही दुर्गेश यादव घायल हुए हुए हैं। दुर्गेश का भागलपुर में इलाज चल रहा है।
घटना के संबंध में बताया गया कि शुक्रवार की देर रात पसराहा पुलिस को यह सूचना मिली कि सलारपुर दियारा में खगड़िया एवं नौगछिया इलाके के अपराधियों का जमावड़ा हो रहा है। इसके बाद थानाध्यक्ष आशीष कुमार सदलबल के साथ दियारा की और कूच कर गए। इधर पुलिस को आते देख डकैतों ने तावड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने भी गोली चलानी शुरू कर दी।इस हादसे में थानाध्यक्ष आशीष शहीद हो गए।
मालूम हो कि 2009 बैच के दारोगा आशीष कुमार 2016 में खगड़िया के मुफस्सिल थाना भदास क्षेत्र में अपराधियों से मुठभेड़ में घुटना में गोली लगने से घायल हुए थे।
सौजन्य-हिन्दुतान
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