मंगलवार, 24 नवंबर 2020

रामानंद यादव हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त नक्सली के एरिया कमांडर मनोज सादा हथियार के साथ चढ़ा पुलिस के हत्थे

 पहले गिरोह में करता था काम, बाद में खुद गिरोह बनाकर कर दिया पहलवान की हत्या

कोशी बिहार टुडे, सहरसा


खगरिया के अलौली में गिरफ्तार कुख्यात मनोज सादा के बारे में जानकारी देते डीएसपी

50 हजार का इनामी अपराधी मनोज सदा गिरफ्तार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पटना एसटीएफ की टीम और खगड़िया पुलिस ने अलौली थानाध्यक्ष परेंद्र कुमार की नेतृत्व में मंगलवार को छापेमारी की। पीपरपांती गांव निवासी मनोज सदा के पास हथियार और कारतूस भी बरामद किया गया। सदर एसडीपीओ आलोक रंजन ने अलौली थाना परिसर में प्रेस वार्ता में बताया कि यह रामानंद यादव के हत्या के मुख्य आरोपी है, जो महिनों से पुलिस को चकमा देकर फरार चल रहा था। इसके विरुद्ध खगड़िया सहरसा व दरभंगा के विभिन्न थानों में लूट, हत्या सहित अन्य कई प्रकार एक दर्जन से अधिक मामला दर्ज है। एसडीपीओ ने बताया कि इसके ऊपर 50 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया गया था। 


रामानंद की हत्या बाद दियारा में था दबदबा

         
गिरप्तार कुख्यात मनोज सादा अलौली थाना में पुलिस हिरासत में

कोसी का कुख्यात रामानंद यादव उर्फ पहलवान की हत्या के बाद दियारा में मनोज का दबदबा था। मंगलवार को सूचना मिलते ही एसटीएफ की टीम उसके घर समीप से ही गिरफ्तार कर लिया। मनोज का वर्ष 2008 का दियारा के क्षेत्रों में अपराधिक इतिहास रहा है। खगड़िया व सहरसा जिले के विभिन्न थाने में कुल 14 मामले दर्ज हैं। अलौली में 3, मोरकाही में 6, मानसी थाना में एक व दरभंगा के कुशेश्वर स्थान थाना में एक, सहरसा के सलखुआ थाना में 2 तथा सिमरी बख्तियारपुर में एक मामला दर्ज है।

पहले गैंग में काम करता था, बाद में खुद के गैंग बनाकर कर दिया हत्या

कुख्यात नक्सली मनोज सादा को गिरफ्तार कर नाव से ले जाते एसटीएफ के जवान

बताया जाता है कि मनोज सदा रामानंद यादव के गिरोह में ही पहले काम किया करता था।कुछ अनसुनी बातों को लेकर मनोज सदा ने पहलवान से बगावत कर नक्सली से हाथ मिलाकर पहलवान के हर गतिविधि पर नजर रखने लगा था।


8 अप्रैल 20 की  शाम करीब छः बजे घर से कुछ ही दूरी पर पहले से घात लगाकर बैठे अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर पहलवान की हत्या कर दिया।जिसमें परिजनों के प्राप्त आवेदनों के अनुसार नक्सली मनोज सदा सहित अन्य आठ लोंगों को मुख्य आरोपी बनाया गया था जिसमें 20 से 30 अज्ञात लोगों को शामिल किया गया था।पहलवान के मौत से एक महीने बाद दो मुख्य आरोपी जिसमें कनरिया ओपी क्षेत्र के सुखासनी निवासी परमानंद उर्फ पारो यादव व खगड़िया के अलौली निवासी शरविन्द यादव को मधेपुरा में एसपी आवास के पास एसटीएफ व स्थानीय पुलिस के संयुक्त छापेमारी के दौरान गिरप्तार किया गया था। पुनः 24 जून को अलौली निवासी तथा 25 हजार के इनामी वरुण यादव को मुज्जफरपुर से एसटीएफ ने दर-दबोचा था। पहलवान हत्याकांड के कुल चार आरोपियों को पुलिस ने अबतक गिरफ्तार कर क्षेत्र में शांति का माहौल स्थापित करने में कामयाब नजर आ रही है।

रविवार, 22 नवंबर 2020

देश के पहले दलित सासंद, जो ट्रेन के फर्श पर बैठकर दिल्ली गए थे,

 बिहार में जब एक लोकसभा सीट से जीतते थे दो सांसद, एक सामान्य तो दूसरा होता था आरक्षित कोटे से

आजादी के बाद देश मे पहले आम चुनाव में एक सीट से दो दो सासंद बने थे

कोशी बिहार टुडे, सहरसा


        किराय मुसहर के पुत्र छट्ठू ऋषिदेव और उनकी पत्नी

पहले आम चुनाव में इस सीट के आरक्षित कोटे से जीते थे किराय मुसहर, बिहार के पहले दलित सांसद बने थे

ट्रेन की फर्श पर बैठकर गए थे संसद सत्र में हिस्सा लेने, परिवार आज गुमनामी में जी रहा

 इसी क्रम में आज पेश है किराय मुसहर की कहानी। बात 1951 की है। देश में पहला आम चुनाव हुआ था। यह आम चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक यानी करीब चार महीने चला। 68 चरणों में चुनाव हुए थे। इस आम चुनाव का रोचक पहलू यह रहा कि इसमें 86 संसदीय क्षेत्र दो और एक संसदीय क्षेत्र तीन सीटों वाला था। इन बहुसदस्यीय संसदीय क्षेत्रों से एक से अधिक सदस्य चुने जाते थे।बहुसदस्यीय संसदीय क्षेत्र की व्यवस्था को 1962 में समाप्त कर दिया गया। उन बहुसदस्यीय सीटों में से एक था भागलपुर-पूर्णिया संयुक्त लोकसभा सीट, जहां से एक सामान्य और एक आरक्षित उम्मीदवार खड़े हुए थे।


भागलपुर-पूर्णिया संयुक्त आरक्षित सीट थी


देश जब आजाद हुआ था तो उस समय दलित, पिछड़े, शोषित समाज के उत्थान के लिए भीमराव अंबेडकर ने आरक्षण की व्यवस्था की मांग की थी। बाद में यह तय किया गया कि जहां दलितों की संख्या ज्यादा होगी वहां संयुक्त आरक्षित सीट बनाया जाएगा। वहां से सामान्य और आरक्षित उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। इसी के तहत भागलपुर-पूर्णिया संयुक्त आरक्षित सीट से 1952 में चुनाव जीत कर आए थे किराय मुसहर। सांसद बने थे। बिहार के पहले दलित सांसद कहे जाते हैं। आज उनका परिवार गुमनामी की जिंदगी जी रहा है।


माता-पिता मजदूर थे


बिहार के मधेपुरा जिले के मुरहो गांव में एक दलित खेतिहर मजदूर के घर 17 नवंबर, 1920 को किराय का जन्म हुआ था। किराय के माता-पिता बीपी मंडल की जमींदारी में रहकर मेहनत-मजदूरी किया करते थे। मजदूरी और काम खत्म करने के बाद किराय मुसहर सोशलिस्ट पार्टी में जाकर अपना वक्त दिया करते थे। नेताओं के आसपास रहकर राजनीति में उनकी समझ ठीकठाक हो गई थी।


सामान्य सीट से जेबी कृपलानी लड़े थे


1952 में प्रथम आम चुनाव की घोषणा की गई। कांग्रेस तब देश को आजादी दिलवाने का श्रेय लेकर मैदान में उतरी थी लेकिन सोशलिस्ट पार्टी एक सशक्त विपक्ष के रूप में कांग्रेस के सामने थी। भागलपुर-पूर्णिया संयुक्त संसदीय क्षेत्र में तब दो सीटें थीं, एक सामान्य और दूसरी आरक्षित। सोशलिस्ट पार्टी और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बीच गठबंधन था। सामान्य सीट से भूपेंद्र नारायण मंडल समाजवादियों की पहली पसंद थे। 1952 में जब कांग्रेस सरकार के खिलाफ सोशलिस्ट पार्टी ने अपना उम्मीदवार तय करने की सोची तो उस समय डॉ. राम मनोहर लोहिया ने भागलपुर-पूर्णिया संयुक्त आरक्षित सीट से किराय मुसहर को चुनाव लड़ाने की सोची। वहीं सामान्य सीट से बीएन मंडल की जगह जेबी कृपलानी ने चुनाव लड़ा। दोनों ने इस चुनाव को जीत लिया।


ट्रेन किराया के लिए पैसे नहीं थे


जब किराय मुसहर चुनाव जीतकर दिल्ली जाने लगे तो उनके पास ट्रेन किराया के लिए पैसे नहीं थे। तब सोशलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने चंदा करके उनके खाने और जाने की व्यवस्था की थी। ट्रेन में भी किराय को मुसहर होने की वजह से सीट नहीं दी गई। वे ट्रेन की फर्श पर बैठकर दिल्ली गए थे। किराय मुहसर के पुत्र छट्ठू ऋषिदेव बताते है कि भले उनके पिता इस क्षेत्र के पहले सांसद रहे हों, लेकिन आज भी लोग उन्हें सम्मान नहीं देते हैं। ऋषिदेव के अनुसार कुछ राजनैतिक पार्टियों ने उनको सिंहेश्वर स्थान से चुनाव लड़वाया लेकिन वे जीत नहीं पाए। ऋषिदेव बताते हैं कि चुनाव में उनका इस्तेमाल किया गया। उनका और उनके पिता के नाम का उपयोग किया गया, कभी कोई लाभ नहीं दिया गया। आज ऋषिदेव मुरहो की मुसहर टोली में गुमनामी जिंदगी जी रहे हैं। अभी तक उनके पास कोई भी सरकारी सुविधा नहीं पहुंची है। ना उन्हें वृद्धा पेंशन मिलती है और ना ही उनके घर में उज्ज्वला योजना है।


ऋषिदेव का घर, इन्हें ना तो वृद्धा पेंसन मिलती है एवं ना ही कोई अन्य योजना

 किराय मुसहर सोशलिस्ट पार्टी के कार्यक्रमों जाया करते थे। वे सोशलिस्ट पार्टी के नेता बीएन मंडल से खासा प्रभावित रहते थे। लोहिया जी और बीएन मंडल जी ने ही मिलकर किराय मुसहर को चुनाव लड़ाया था और बीएन मंडल ने अपनी सीट जेबी कृपलानी को दे दी थी। जिस समय भागलपुर-पूर्णिया की आरक्षित सीट से किराय का नाम फाइनल हुआ उस समय वे हमारे खेत में काम कर रहे थे।

निधन से लोहिया काफी दुखी हुए थे

1962 में किराय मुसहर का निधन हो गया था। उनके निधन से राम मनोहर लोहिया काफी व्यथित हुए थे और उन्होंने संसद भवन में इसकी सूचना दी थी। चूंकि किराय 1952 के चुनाव के बाद कोई चुनाव नहीं जीत पाए, इसलिए उनका संसद से बहुत ज्यादा संबंध नहीं रहा था। उनके पुत्र छट्ठू ऋषिदेव को कुछ राजनैतिक दलों ने अपने पक्ष में चुनाव में उतारा था लेकिन वो भी सफल नहीं हो पाए।साभार-दैनिकभास्कर

शनिवार, 21 नवंबर 2020

नए साल में कई विभाग में होगी बहाली, पढ़िए किस विभाग में कितना पद है खाली

 नए साल में नोकरी की बहार, सिर्फ 6 विभागों में 153887 पद भरे जाएंगे

कोशी बिहार टुडे, सहरसा



विभागों ने भी खाली पदों को भरने की प्रक्रिया तेज कर दी है। कई वैकेंसी भरने की प्रक्रिया प्रारंभ भी हो चुकी है।

चुनाव में सत्ता-विपक्ष दोनों का मुख्य मुद्दा था रोजगार

नए साल में राज्य में नौकरियों की भरमार होगी। तकरीबन 1,53,887 पद भरे जाएंगे। यह महज छह विभागों का मोटा हिसाब है। वैसे बीते विधानसभा चुनाव में पार्टियों ने रिक्तियों की संख्या करीब साढ़े चार लाख बताई थी। सत्ता और विपक्ष दोनों ने रोजगार को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। विपक्ष के चुनावी अभियान की बुनियाद ही सरकारी नौकरी थी।


भाजपा ने भी अपने चुनावी घोषणापत्र में 19 लाख रोजगार देने का वादा किया और उसमें सरकारी विभागों में रिक्त पदों को भरने की भी बात की गई। तीन लाख नए शिक्षकों के अलावा स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर से लेकर पारा-मेडिकल स्टाफ तक के एक लाख लोगों के लिए नौकरी के अवसर पैदा करने की बात कही गई।


शासन की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस दिशा में तेजी से कार्रवाई शुरू कर दी है। सामान्य प्रशासन विभाग तो रिक्तियों को लेकर बाजाप्ता आदेश भी जारी कर चुका है। इधर, विभागों ने भी खाली पदों को भरने की प्रक्रिया तेज कर दी है। कई वैकेंसी भरने की प्रक्रिया प्रारंभ भी हो चुकी है।

रिक्तियों को लेकर आदेश जारी कर चुका है सामान्य प्रशासन विभाग


पंचायती राज विभाग : 1600 पद कार्यपालक सहायकों के रिक्त


विभाग ने प्रखंड व पंचायत कार्यालयों के सही तरीके से संचालन के लिए कार्यपालक सहायकों के रिक्त 1600 पदों को शीघ्र भरने का निर्देश सभी डीएम को दिया है। राज्य की 8386 ग्राम पंचायतों और 534 प्रखंड कार्यालयों के संचालन के लिए ये पद बनाए गए हैं। विभाग के निदेशक चंद्रशेखर सिंह ने डीएम को पत्र लिख पद भरने के लिए अंतरिम पैनल बनाने को कहा है।


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी : 8770 खाली पदों को भरने की सिफारिश


मंत्री अशोक चौधरी ने सभी रिक्त पदों को भरने का एलान किया है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षकों के 2095 व पॉलिटेक्निक कॉलेजों में 1182 पदों को भरने के लिए बीपीएससी को अधियाचना भेजी जा चुकी है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में नॉन टीचिंग के 3310 और पॉलिटेक्निक कॉलेजों में 2183 पदों को भरने के लिए तकनीकी सेवा आयोग को कहा गया है।


राजस्व एवं भूमि सुधार : दो माह में 5900 कर्मियों की नियुक्तियां


मंत्री रामसूरत कुमार ने भी राजस्व प्रशासन से जुड़े पदों को भरने की बात की है। पूरे राज्य में 8000 हल्का कर्मचारी की बहाली होनी है जिनमें 4000 पद भरे जा चुके हैं। 1700 अमीन की बहाली की प्रक्रिया चल रही है। अब तक 3000 अमीन कार्यभार संभाल चुके हैं। कानूनगो के 200 पदों की बहाली भी चल रही है। अगले दो महीने में सभी पदों के भरे जाने की पूरी संभावना है।

स्वास्थ्य विभाग : 16500 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू होगी


आयुष चिकित्सकों के करीब 3300 पदों पर नियुक्ति होनी है। 10 हजार के करीब नर्स एवं पारामेडिकल स्टाफ की भर्ती होगी। 1000 विशेषज्ञ व 2200 के करीब सामान्य चिकित्सकों की नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। दोबारा बागडोर संभालते ही मंत्री मंगल पांडेय खाली पदों के भरने में सक्रिय हो गए हैं। कोई पेंच नहीं फंसा तो नए साल में खाली पद भर दिए जाएंगे।

गृह विभाग : दारोगा से स्टेनो तक 12,716 पदों की भर्ती प्रक्रियाधीन


बिहार पुलिस में चालक सिपाही के 1722 पदों, बिहार सैन्य पुलिस, विशेषीकृत इंडिया रिजर्व बटालियन व बिहार राज्य औद्योगिक सुरक्षा वाहिनी में सिपाही के 8415 पद पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। सब इंस्पेक्टर, सार्जेंट, सहायक जेल अधीक्षक (सीधी भर्ती) व सहायक जेल अधीक्षक (एक्स सर्विसमेन) के 2446 पदों, स्टेनो एएसआई के 133 पदों पर नियुक्ति होनी है।


शिक्षा : प्रोफेसर से प्राइमरी टीचर तक 108401 पदों पर नियुक्ति


13 विवि में 4638 सहायक प्रोफेसर की बहाली के लिए 2 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन देना है। ये सभी पद नए साल में भर दिए जाने हैं। विभाग का दावा है कि प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के 90763 पदों पर जारी नियुक्ति की प्रक्रिया जनवरी तक पूरी कर ली जाएगी। इसके अलावा लिपिक, आशुलिपिक सहित 13 हजार पदों पर बहाली की प्रक्रिया जारी है। साभार-दैनिकभास्कर

मंगलवार, 17 नवंबर 2020

पंचायत चुनाव में अगर कोई प्रत्याशी पार्टी के नाम पर वोट लिया तो पड़ेगा महंगा

 

दलीय आधार पर इस बार भी चुनाव नहीं, मार्च से मई तक होगा पंचायत चुनाव

कोशी बिहार टुडे, सहरसा



पंचायत चुनाव में किसी राजनीतिक पार्टी के नाम या झंडा के सहारे वोट मांगा तो आचार संहिता का डंडा चलेगा। उन भावी प्रत्याशियों को सतर्क रहना होगा, जो इस बार पंचायत चुनाव में मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।


दरअसल, बिहार में होने वाला पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं होगा। ऐसे में अगर कोई प्रत्याशी किसी राजनीतिक दल के नाम पर चुनाव प्रचार करता है तो उसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाएगी।


इसके तहत अभ्यर्थी या उनके समर्थकों द्वारा किसी भी सरकारी या सरकार के उपक्रमों के भवन, दीवार तथा चहारदीवारी पर पोस्टर व सूचना चिपकाने पर भी रोक रहेगी। किसी तरह का नारा नहीं लिखा जाएगा। बैनर-झंडा लगाने पर भी पाबंदी होगी। मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में चुनाव प्रचार आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।


अगले साल मार्च से मई के बीच होना है पंचायत चुनाव


राज्य में अगले साल मार्च से मई के बीच पंचायत चुनाव होना है। माना जा रहा है कि इस बार भी दस चरणों में चुनाव हो सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग इसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजेगा। खास बात यह है कि इस बार पंचायत चुनाव की तैयारी भी कोरोना काल में शुरू हो रही है।


ऐसे में विधानसभा चुनाव की तरह पंचायत चुनाव में भी कोरोना से बचाव को ध्यान में रखकर गाइडलाइन जारी की जा सकती है। इस चुनाव में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अनिवार्य होगा। पिछले पंचायत चुनाव में 700 वोटर पर एक बूथ बनाया गया था। साभार-दैनिक भास्कर

सोमवार, 16 नवंबर 2020

तारकिशोर प्रसाद को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाये जाने पर उनके पैतृक घर सलखुआ में जश्न

 मध्य विद्यालय सलखुआ में सातवीं तक पढ़ाई के बाद गए थे कटिहार

कोशी बिहार टुडे, सहरसा


        उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेते तारकिशोर प्रसाद

कटिहार के सदर विधायक तारकिशोर प्रसाद को उपमुख्यमंत्री बनाने पर सिमरीबख्तियारपुर एवं सलखुआ के लोगो मे खुशी है। तारकिशोर प्रसाद का जन्मस्थान सलखुआ बाजार है। तारकिशोर के चाचा एवं पत्रकार बशिष्ठ कुमार ने बताया कि तारकिशोर प्रसाद वर्ग सात तक मध्य विद्यालय सलखुआ में पढाई किया है। 1966 में वे कटिहार चला गया था। तारकिशोर के पिता गंगा प्रसाद नार्थ बिहार कॉल डिट्रिब्यूटर थे एवं 1957 से ही कटिहार में रह रहे थे। उनके पुश्तेनी घर सलखुआ में वे बराबर आते है। उनके चाचा बलभद्र प्रसाद की पिछले वर्ष 27 सितंबर 19 को मौत होने के बाद सपरिवार सलखुआ आया था। सलखुआ में ही उनका पर्व त्योहार होता है। 

तारकिशोर  के उपमुख्यमंत्री बनने पर सलखुआ मेंं उनके पेतृृक घर पर जश्न मनाते लोग


सलखुआ में अभी वर्तमान में 5 बीघा जमीन है। एक घर है जो पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। फिलहाल उनकी घर का देखभाल उनके पत्रकार चाचा के द्वारा ही किया जाता है। मेट्रिक से एलएलबी कटिहार में ही किया। छात्र जीवन से ही आरएसएस से जुड़े रहे। कटिहार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य एवं भाजपा के जिला मंत्री पद तक बना। सलखुआ में अभी भी तारकिशोर का सलखुआ में 5 बीघा जमीन मौजूद है। इधर तारकिशोर प्रसाद को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाये जाने पर सिमरीबख्तियारपुर, सलखुआ के लोगो मे हर्ष है। वैश्य समाज के अनुमंडलीय अध्यक्ष सुमित गुप्ता ने कहा कि तारकिशोर प्रसाद को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाकर बिहार में वैश्य का सम्मान बढ़ाया है। उन्होंने लोगो के बीच मिठाई भी बांटा। 


रविवार, 15 नवंबर 2020

नई सरकार बनाने को लेकर आज सीएम नीतीश लेंगे सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ,

 

कोशी बिहार टुडे, सहरसा

नई सरकार में 13 नए चेहरे होंगे, अगड़ी जातियों की बढ़ेगी हिस्सेदारी; पुराने मंत्रियों में से 13 को फिर मौका

      तारकिशोर सिंह, श्रेयसी सिंह, शालिनी मिश्रा और संजय मयूख।


नए गणित में जदयू 13 और भाजपा 21 मंत्री दे सकती है, 1-1 मंत्री HAM-VIP का होगा

जीतन राम मांझी के बेटे संतोष और VIP के हारे अध्यक्ष मुकेश सहनी पहली बार बनेंगे मंत्री

नीतीश सोमवार को 7वीं बार बिहार के सीएम पद की शपथ लेंगे। नीतीश सरकार में 13 नए चेहरे शामिल हो सकते हैं। इनमें अगड़ी जातियों को ज्यादा हिस्सेदारी दी जा सकती है। इनके अलावा, पुराने मंत्रिमंडल में शामिल रहे 13 विधायकों को ही मंत्री बनाने का फैसला हुआ है। पुराने मंत्रियों में से 8 को नीतीश के साथ ही शपथ दिलाई जा सकती है।


सूत्रों के मुताबिक, सरकार में जदयू के 7 और भाजपा के 6 पुराने मंत्रियों के अलावा 10 नए मंत्रियों का रहना तय है। भले ही इन्हें सोमवार को शपथ दिलाई जाए या 20 नवंबर के पहले संभावित अगले कैबिनेट विस्तार में।


मंत्रियों की संख्या पर गतिरोध बना हुआ है


नीतीश की पिछली सरकार मंत्रियों का जो अनुपात था, उसके हिसाब से जदयू को 10 और भाजपा को 16-17 मंत्री देना चाहिए, लेकिन 125 विधायकों के बीच 36 विभागों को बांटने पर 3.47 विधायक पर एक मंत्री पद देने की स्थिति है और उस हिसाब से भाजपा 21 और जदयू 13 मंत्री का दावा कर सकता है। किसी भी स्थिति में कम सीटों के कारण जदयू को नुकसान है, इसलिए फिलहाल संख्या पर गतिरोध है। 


जदयू से 3: सुनील-शालिनी तय, संजय-लेसी में एक की संभावना

भारतीय पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद सीधे जदयू में इंट्री करने वाले सुनील कुमार पिछड़ी जाति से हैं और नई सरकार में इन्हें मंत्रालय मिलना तय है। शालिनी मिश्रा को उनके पारिवारिक प्रभाव को लेकर मौका मिलने की संभावना है। जदयू के प्रवक्ता और चुनाव में लगातार मेहनत कर रहे संजय सिंह का नाम भी इस बार मंत्री सूची में है, हालांकि अभी उनका MLC भी नहीं होना उन्हें परेशान कर सकता है।


उन्हीं की जाति से लेसी सिंह ऐसे में बाजी मार सकती हैं। लेसी पहले भी नीतीश सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। जदयू के मंत्री कृष्णनंदन वर्मा, शैलेश कुमार और रामसेवक सिंह की हार से खाली हुई जगह पर इनकी जाति के किसी विधायक को मौका मिलना भी पक्का है।

               जदयू के संजय सिंह, सुनील कुमार और लेसी सिंह।


भाजपा में 8: तार किशोर, रेणु, नीतीश, सम्राट, रजनीश, हेम्ब्रम तय, नितिन-मयूख और श्रेयसी-अमरेंद्र में कोई एक

भाजपा को इस बार मंत्री पद ज्यादा मिलने हैं और नाम भी इस बार बेहतर हैं। भाजपा विधानमंडल दल के नेता बने कटिहार विधायक तार किशोर प्रसाद और विधायक दल की उप नेता बनीं रेणु देवी का नाम पक्का है। जदयू कोटे से नीतीश सरकार में मंत्री का अनुभव रखने वाले नीतीश मिश्रा का नाम तय माना जा रहा है। चुनाव से लेकर भाजपा के मंचों पर समन्वय में आगे दिखे सम्राट चौधरी को मंत्री पद मिलना पक्का है।


इसके अलावा पहली बार जीतकर आईं शूटिंग चैंपियन श्रेयसी सिंह के निशाने पर भी है मंत्री पद। हालांकि, अनुभवी अमरेंद्र प्रताप सिंह को मौका मिलने की स्थिति में उनका नाम अटक सकता है। मामला नितिन नवीन और संजय मयूख को लेकर फंस रहा है। भूमिहार कोटे से इस बार भाजपा बेगूसराय के रजनीश कुमार को मौका दे सकती है। इसके अलावा आदिवासी कोटे निकी हेम्ब्रम को भी भाजपा मंत्री बना सकती है।

      भाजपा के सम्राट चौधरी, रेणु देवी, नीतीश मिश्रा, नितिन नवीन, निकी हेम्ब्रम और अमरेंद्र प्रताप सिंह।

VIP-HAM के 1-1: जीतनराम के बेटे और सन ऑफ मल्लाह का नाम पक्का

पूर्व मुख्यमंत्री और HAM के अध्यक्ष जीतन राम मांझी उप मुख्यमंत्री बनने की संभावना नहीं देख किसी और उम्मीद में बैठते हुए फिलहाल अपने बेटे संतोष मांझी का नाम मंत्री पद के लिए आगे बढ़ाने जा रहे हैं। दूसरी तरफ, अपनी सीट गंवाने के बावजूद चार विधायकों वाले VIP के अध्यक्ष मुकेश सहनी MLC कोटा लेकर मंत्री पद खुद हासिल करें तो आश्चर्य नहीं होगा। दोनों ही नेता दो-दो मंत्री पद के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन इसकी संभावना कम नजर आ रही है।

               HAM के संतोष मांझी और VIP के मुकेश सहनी।


पुराने चेहरों में 13 नाम ही पक्के


                जदयू                   भाजपा

               श्रवण कुमार        डॉ. प्रेम कुमार

            अशोक चौधरी    नंद किशोर यादव

            संजय झा                मंगल पांडेय

           नीरज कुमार            विजय कुमार सिन्हा

           बीमा भारती           राणा रंधीर सिंह

         मदन सहनी          कृष्ण कुमार ऋषि

      खुर्शीद फिरोज, साभार-दैनिकभास्कर

गुरुवार, 12 नवंबर 2020

जनवरी तक 19 लाख नोकरी नही दिया तो करेंगे बड़ा आंदोलन: तेजस्वी

बिहार में निकालेंगे धन्यवाद यात्रा, जनता ने बदलाव के लिये मतदान किया

कोशी बिहार टुडे, सहरसा



राबड़ी आवास 10 सर्कुलर रोड में गुरुवार को महागठबंधन की बैठक हुई। इसमें 110 विधायकों ने महागठबंधन के नेता पद पर तेजस्वी यादव के नाम पर मुहर लगा दी। बैठक में राजद के साथ कांग्रेस और वामदल के विधायक भी मौजूद थे। कांग्रेस की तरफ से प्रभारी सचिव वीरेंद्र राठौर और माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य भी बैठक में शामिल हुए। इसके पहले राजद के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक हुई, जिसमें तेजस्वी यादव को राजद विधायक दल का नेता बनाया गया। तेजस्वी ने विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में हम सरकार बनाएंगे। सभी एकजुट रहें। छोटे दलों ऑफर देते हुए कहा कि बदलाव के पक्ष मे जनादेश मिला है। उन्हें फैसला लेना है कि वे जनता के साथ हैं या नहीं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहा- थोड़ी सी भी नैतिकता है तो संन्यास लेने के पहले अंतरात्मा जगाएं, जोड़-तोड़ करने की बजाय कुर्सी छोड़ें।



कहा- हम हारे नहीं, जीते हैं। धन्यवाद यात्रा निकालेंगे। सरकार में जो लोग बैठेंगे, उन्होंने जनवरी तक यदि 19 लाख रोजगार और समान काम के लिए समान वेतन की कार्रवाई नहीं की तो बड़ा आंदोलन करेंगे। इसे कांग्रेस नेता डाॅ. अखिलेश प्रसाद सिंह, माले की कविता कृष्णन, सीपीआई के रामनरेश पांडेय, सीपीएम के अवधेश राय महागठबंधन ने भी संबोधित किया।

बुधवार, 11 नवंबर 2020

चिराग और ओवैसी फैक्टर ने किस तरह बिगाड़ा NDA और महागठबंधन का गणित, जानिए इस रिपोर्ट में


कोशी बिहार टुडे, सहरसा



बिहार चुनाव के नतीजे आ गए हैं। हमेशा छोटे भाई की भूमिका में रही भाजपा इस बार बड़ा भाई बन गई। हालांकि, भाजपा इस बार भी छोटा भाई ही रह जाती अगर खुद को मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान एनडीए से अलग होकर चुनाव न लड़ते।


चिराग की पार्टी लोजपा ने जदयू को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। या इसे यूं कहें कि मोदी के हनुमान ने जदयू की सीटों को बढ़ने से रोक दिया। जिस तरह लोजपा ने जदयू को नुकसान पहुंचाया, उसी तरह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने महागठबंधन का गेम बिगाड़ा। आइए समझते हैं कैसे लोजपा ने NDA को 150+ पहुंचने से रोका और कैसे ओवैसी की पार्टी ने तेजस्वी यादव के सीएम बनने के सपने को तोड़ दिया?


पहले बात लोजपा की...

लोजपा ने NDA को 150+ पर जाने से कैसे रोका?

चुनाव से पहले ही चिराग पासवान NDA से अलग हो गए थे। उन्होंने उन सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था, जहां जदयू लड़ रही थी। ऐसा हुआ भी। जदयू और लोजपा की तनातनी ने नुकसान पहुंचाया NDA को। NDA को 42 सीटों पर नुकसान हुआ है। अभी NDA ने 125 सीटें जीती हैं। अगर ये 42 सीटें भी उसे मिलतीं, तो NDA का स्कोर 167 हो जाता।


लोजपा की वजह से जदयू को कितना नुकसान हुआ?

लोजपा की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान किसी को झेलना पड़ा है, तो वो है जदयू। नीतीश कुमार की पार्टी को चिराग की पार्टी ने 36 सीटों पर नुकसान पहुंचाया है। इन 36 सीटों पर जदयू की जितने वोटों से हार हुई है, उससे ज्यादा वोट तो लोजपा को मिल गए। इसको ऐसे समझें कि जमालपुर सीट पर कांग्रेस के अजय कुमार सिंह ने जदयू के शैलेष कुमार को 4,432 वोटों से हरा दिया। जबकि, लोजपा के दुर्गेश कुमार सिंह को 14,643 वोट मिले। इसी तरह शेखपुरा सीट पर राजद के विजय कुमार ने जदयू के रणधीर कुमार सोनी को 6,116 वोटों से हराया। लोजपा के इमाम गजली को 14,486 वोट मिले। साफ है अगर ये वोट बंटते नहीं और जदयू को मिलते, तो उसे फायदा होता।

क्या लोजपा ने NDA की दूसरी पार्टियों को भी नुकसान पहुंचाया?

हां। लोजपा ने NDA को 42 सीटों पर नुकसान पहुंचाया है। इनमें 36 सीटें तो जदयू की हैं। 4 सीटें वीआईपी और एक-एक सीट पर भाजपा और हम को भी नुकसान पहुंचाया है। भागलपुर सीट पर भाजपा थी और यहां लोजपा ने भी अपना उम्मीदवार उतारा। इस सीट पर भाजपा के रोहित पांडेय कांग्रेस के अजीत शर्मा से महज 1,113 वोटों से हारे। यहां लोजपा के राजेश वर्मा को 20,523 वोट मिले।


वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की हार का कारण भी लोजपा ही रही। मुकेश सहनी सिमरी बख्तियारपुर सीट से खड़े हुए थे। वो राजद के यूसुफ सलाहुद्दीन से 1,759 वोटों से हार गए। जबकि, लोजपा के संजय सिंह को 6,962 वोट मिले। अगर ये वोट बंटते नहीं, तो शायद मुकेश सहनी जीत जाते। इनके साथ ही निर्दलीय रितेश रंजन एवं खगेश कुमार साह भी मुकेश साहनी के जीत में कांटा बन गया। 


अब बात ओवैसी की पार्टी की...

ओवैसी की पार्टी ने तेजस्वी का सपना तोड़ा?

असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM पार्टी ने इस चुनाव में 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। इनमें से 5 सीटों कोचाधामन, बहादुरगंज, जोकीहाट, अमौर और बायसी पर उनकी पार्टी जीती है। पिछली बार कोचाधामन और जोकीहाट में जदयू, बहादुरगंज और आमौर में कांग्रेस और बायसी में राजद जीती थी। पिछली बार जदयू भी महागठबंधन का हिस्सा था, तो कह सकते हैं कि तब ये सभी 5 सीटें महागठबंधन के पास थीं।


इसके अलावा रानीगंज सीट पर महागठबंधन के उम्मीदवार की हार का अंतर मात्र 2,304 था। जबकि, यहां AIMIM को 2,412 वोट मिले हैं। कुल मिलाकर ओवैसी की पार्टी ने महागठबंधन को 6 सीट का नुकसान पहुंचाया है। अगर ये 6 सीटें महागठबंधन को जाती तो उसके पास 115 सीटें हो सकती थीं। साभार-दैनिकभास्कर

मंगलवार, 10 नवंबर 2020

बिहार में एनडीए को जनादेश, नीतीश कुमार 7वी बार बनेंगे बिहार के सीएम

 

महागठबंधन बना बिहार की बड़ी पार्टी, वही दूसरे नंबर पर भाजपा

कोशी बिहार टुडे, सहरसा



करीब 18 घंटे की काउंटिंग के बाद बिहार में नतीजों की तस्वीर साफ हो गई। NDA 125 सीटों के साथ सत्ता बचाने में कामयाब रहा, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाली पार्टी नीतीश कुमार की जदयू ही रही। पिछली बार के मुकाबले जदयू की 28 सीटें घट गईं और वह 43 सीटों पर आ गई। वहीं, भाजपा 21 सीटों के फायदे के साथ 74 सीटों पर पहुंच गई। राजद सबसे बड़ा दल बनकर उभरा, जिसे 75 सीटें मिलीं। उसके नेतृत्व वाले महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं।


इससे पहले, रुझानों में NDA ने सुबह साढ़े दस बजे ही बहुमत का आंकड़ा छू लिया था, लेकिन करीब आठ घंटे बाद यानी शाम साढ़े छह बजे के करीब तस्वीर बदल गई। NDA 134 से घटकर 120 पर आ गया। हालांकि, दो घंटे बाद ही उसने फिर 123 सीटों पर बढ़त के साथ रुझानों में बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया। 23 सीटों पर वोटों का मार्जिन दो हजार से कम था, इसलिए NDA की सीटें बहुमत से कम-ज्यादा होती रहीं।



सबसे बड़ा फायदा भाजपा को, सबसे ज्यादा नुकसान जदयू को


पार्टी सीटें (फायदा/नुकसान)

भाजपा 74 (+21)

जदयू 43 (-28)

हम 4 (+3)

VIP 4 (+4)

कुल NDA 125

राजद 75 (-5)

कांग्रेस 19 (-8)

भाकपा (माले) 12 (+9)

भाकपा 2 (+2)

माकपा 2 (+2)

कुल महागठबंधन 110

अन्य 8

नीतीश की शिकायत लिए EC तक पहुंचा राजद



शाम तक आए रुझानों में राजद NDA को बराबरी पर रोकता दिखा। उसे भाजपा के 19.4% के मुकाबले 23.1% वोट मिले। काउंटिंग के दौरान राजद और कांग्रेस के नेता नीतीश कुमार की शिकायत लेकर चुनाव आयोग भी पहुंचे। उनका आरोप था कि नीतीश काउंटिंग को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। उधर, सभी नतीजे घोषित होने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के वोटरों को जीत की बधाई दे दी। बोले, ‘बिहार के हर वोटर ने साफ-साफ बता दिया कि उसकी प्राथमिकता सिर्फ और सिर्फ विकास है। साभार-दैनिकभास्कर

सोमवार, 9 नवंबर 2020

धमारा घाट पूल नंबर 50 पर बाइक से ट्रैन टकराया, टली बहुत बड़ी दुर्घटना

 30 मीटर तक घसीटता ले गया बाइक को,  पूल पार कर रही बाइक से टकराया

कोशी बिहार टुडे, सहरसा



सोमवार दोपहर राजेंद्र नगर से सहरसा आ रही 03228 इंटरसिटी स्पेशल दुर्घटना होने से बाल-बाल बच गई। जानकारी के मुताबिक राजेंद्र नगर से सहरसा आ रही इंटरसिटी स्पेशल बदला घाट स्टेशन से धमारा घाट के लिए 12:30 पर खुली थी।  ट्रेन की रफ्तार करीब 30 से 35 किलोमीटर प्रति घंटा थी। जब ट्रेन 51 नंबर कोसी नदी ब्रिज पर पहुंचने वाली थी तभी मोटरसाइकिल सवार एक व्यक्ति रेल ब्रिज पार कर रहा था। ट्रेन को आते देख अचानक वह घबरा गया और मोटरसाइकिल को पटरी किनारे छोड़कर फरार हो गया।  ट्रेन चालक जय नरेश जब तक कुछ समझ पाते तब तक इंजन का साइड केटर रेल पटरी किनारे परी बाइक में फंस गई।  10 से 15 मीटर तक घसीट ने के बाद बाइक नदी में जा गिरी।तब तक ट्रेन रेल पुल पार कर चुकी थी।  इसके बाद ट्रेन को 12:39 पर तुरंत रोक दी गई। अधिकारियों के मुताबिक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है और ना ही ट्रेन परिचालन में कोई बाधा पहुंची। अधिकारियों के मुताबिक 30 मिनट तक ट्रेन खड़ी रही। सब कुछ ठीक होने के बाद ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ। वहीं सूचना मिलते ही आरपीएफ सब इंस्पेक्टर विजय कुमार मिश्रा अपने दल बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचेस्थानीय लोगों से पूछताछ के बाद जांच शुरू कर दी।  घटना की वजह से 03227 सहरसा राजेंद्रनगर इंटरसिटी स्पेशल में विलंब हुआ। 



घटना होने के बाद 30 मिनट तक खड़ी रही आसपास स्थानीय लोगों की काफी भीड़ लग गई थी प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि बाइक सवार बाइक छोड़कर भाग गया और नदी में बाइक जा गिरी हालांकि आरपीएफ की टीम अपने स्तर से जांच शुरू कर दी है।

 समस्तीपुर रेल मंडल के आरपीएफ कमांडेंट अंशुमन त्रिपाठी ने बताया कि घटना की की पूरी जानकारी मिली है। आरपीएफ टीम जांच कर रही है। ट्रेन परिचालन को कोई बाधा नहीं हुई और ना ही कोई हताहत हुआ।बाइक सवार बाइक लेकर फरार हुआ या बाइक नदी में गिरी जांच के बाद पता चलेगा।

सोमवारी को बेरागन को लेकर थी भीड़---



 सोमवार के दिन होने की वजह से मां कात्यानी मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे।मां कात्यानी  मंदिर धमारा घाट स्टेशन से कुछ दूरी पर रेलवे ट्रैक किनारे में है।  अब हर सोमवार जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि श्रद्धालु सतर्क होकर रेल पटरी पटरी पार कर सकें। 

धमारा घाट से 100 मीटर आगे रेल पटरी के पास ही मां कात्यानी का मंदिर है। हर सोमवार एवं शुक्रवार को मां कात्यानी मंदिर  यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा पाठ करने पहुंचते हैं वही पूजा करके लौट रहा बाइक सवार व्यक्ति रेल ब्रिज पार कर रहा था अचानक उसकी बाइक रेलवे ट्रैक के बीच फंस गई ट्रेन को आते देख वह बाइक छोड़कर फरार हो गया। 

19 अगस्त 2013 को धमारा घाट स्टेशन पर हुई थी बड़ी हादसा---

18 अगस्त 2013 को सोमवार के ही दिन धमारा घाट स्टेशन बड़ी रेल दुर्घटना हुई थी। इस दुर्घटना में 28 श्रद्धालु की राज्यरानी एक्सप्रेस से कटने से मौत हो गया था। उस दिन भी सोमवार को रहने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां कात्यानी मंदिर पूजा करने जा रहा था। धमारा घाट स्टेशन पर एक नंबर पटरी एवं तीन नंबर पटरी पर पैसेंजर ट्रेन खड़ी थी। दोनो ट्रैन का पैसेंजर उतरकर बीच पटरी यानी दो नंबर से मां कात्यानी मंदिर जा रहा था। इसी बीच सहरसा से पटना जाने वाली राज्यरानी एक्सप्रेस तेज रप्तार में श्रद्धालु को काटती हुई स्टेशन पार कर रही थी। इस घटना में 28 श्रद्धालु की मौत हो गया था। 

सोमवार, 2 नवंबर 2020

सिमरीबख्तियारपुर के युवा छात्र आरजेडी ने छोड़ी पार्टी, जाप को समर्थन

युवाओं ने एक बैठक आयोजित कर आरजेडी प्रत्याशी के ऊपर  लगाया उपेक्षा का आरोप

कोशी बिहार टुडे, सहरसा



बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में 7 नवंबर को होने वाले चुनाव को लेकर सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में छात्र आरजेडी के कई युवाओं ने बगावती रूख अख्तियार कर जाप प्रत्याशी जफर आलम का समर्थन कर दिया है। 

नगर पंचायत क्षेत्र के रानीबाग नहर स्थित तुफानी आलम के आवास पर सोमवार को युवा आरजेडी छात्रों ने बैठक आयोजित कर विचार विमर्श किया। बैठक उपरांत छात्रों ने सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी प्रत्याशी युसूफ सलाउद्दीन पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए यहां से चुनाव लड़ रहे जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के प्रत्याशी निवर्तमान विधायक जफर आलम का समर्थन कर दिया। 



बैठक में शामिल छात्र मो अफरीदी, बुज्झक्कर यादव, सुरेश राम, मो अमीर, शाजिद इकबाल ने बताया कि आज आरजेडी के सक्रिय युवाओं की बैठक आयोजित की गई थी जिसमें सभी लोगों ने कहा कि आरजेडी के प्रत्याशी युवाओं का उपेक्षा कर रहे हैं। हमलोग ऐसे प्रत्याशी का समर्थन कर रहे हैं जो हमेशा हमलोगों एवं आम आवाम के साथ रहते हैं। 

इन लोगों ने बताया कि सभी लोग निवर्तमान विधायक जफर आलम का चुनाव में समर्थन कर विजयी बनाने का निर्णय लिया है। बैठक में अफताब रेबर, साकेत यादव, सुकेश यादव, उदय यादव, अभिनाष रंजन, मो आशिफ अली, संतोष यादव, मनोज यादव, मो जाहिद, अजय, उदय, निखिल, सुनील, रूपेश, रौशन, विवेक सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

पूर्व विधायक के प्रयास से हजारों हेक्टर खेत में जमा पानी से किसान को मिलेगी मुक्ति

  कोपरिया स्लुइस गेट का जलकुंभी साफ करने के लिए निजी कोष से दिया गया धन  सिमरी बख्तियारपुर से पानी की बिक्री ही नहीं बल्कि महिषी खंड के लोगो...