जिनके हाथों में तिरंगा ना संभला जाये, ऐसे नेता को सदन से निकाला जाये
चकभारो उच्च विद्यालय का मैदान बना देश के नामचीन कलाकारों के द्वारा पेश किया गया अद्भुत मुशायरा
कोशी बिहार टुडे
गुरुवार की सर्द रातों में सिमरी बख्तियारपुर के पहाड़पुर उच्च विद्यालय के मैदान में ज्यों-ज्यों रात जवां होती गई, उत्तर प्रदेश के शायर एवं सायरा ने रात भर मुशायरे की कसिस से दर्शकों की राते गुलजार होती रही। एक से बढ़कर एक शेरो व शायरी, गीत, गजल राष्ट्रभक्ति से लेकर महबूब की मेहंदी तक की नज्म की कर्णप्रिय आवाज परवान चढ़ता गया। दर्शको ने जमकर कार्यक्रम का लुप्त उठाया। वक्त था ऑल इंडिया मुशायरा कवि सम्मेलन 2018 का । ऑल इंडिया मुशायरा सह कवि सम्मेलन का उद्घाटन खगड़िया सांसद हज कमिटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी महबूब अली कैसर, सलखुआ प्रखंड के मुखिया संघ के अध्यक्ष सह मुखिया मिथिलेश विजय, डायरेक्टर सफायर हाईवे स्कूल के डायरेक्टर मोहम्मद नाजिम अनवर संयोजक चांद मंजर इमाम ने फीता काटकर उद्घाटन किया।
इस अवसर पर सांसद ने कहा कि मुशायरा कवि सम्मेलन हिंदू मुस्लिम गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल कायम करती है। आज उर्दू हिंदी की गीत गजल शायरी कविता हिंदुस्तान के दिलों पर राज करने का काम किया है। इस नफरत की खाई को मुशायरा सह कवि सम्मेलन बिना किसी भेदभाव के पाटने के काम में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाने वाले एवं जोश जज्बे वाले शायर, शायरा एवं कवियों को सलाम। उद्घाटन समारोह के मंच संचालिका राजस्थान कोटा की मधुर स्वर की मलिका सुश्री शैली मिश्रा ने की। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के हाशिम फिरोजाबादी ने कहा की "और क्या चाहिए वतन के लिए, यह तिरंगा बहुत है कफन के लिए, सरहदों पर भेज कर देखिए, जान दे देंगे हम भी वतन के लिए....," "जिनके हाथों से तिरंगा संभाला न जाए, ऐसे नेताओं को सदन से निकाला जाए....," अब न हो मुल्क में कोई दंगा कभी, और मैली न हो अब ये गंगा, कभी आइए आज हम मिल कर खाएं कसम झुकने देंगे न हाशिम तिरंगा कभी..." शायरी कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वही कानपुर की शाइस्ता सना ने "उदासी के लबों पे जिंदगी मुश्किल से आती है, अगर दिल टूट जाए तो हंसी मुश्किल से आती है, तो वह मुझे अपना तरफदार समझ लेता है, मेरी खामोशी को एक बार समझ लेता है, मेरी आदत है, हर एक शख्स से हंसकर मिलना, अब वह नादान उसको प्यार समझ लेता है...."। देवबंद के डॉक्टर नदीम शाद ने कहा कि "जाने किसका हक दबाकर घर में दौड़ा चला आए हैं, और उस पर यह सितम इसमें ही बरकत चाहिए, वह खुदा से मांगता है, आप क्यों नाराज हैं, वह शराबी है तो क्या, उसको भी जन्नत चाहिए....", बुलंदियों पर यकीनन यकीन रखता हूं, मगर मैं पांव के नीचे जमीन रखता हूं...."। दिल्ली की मोनिका देहलवी ने कहीं की "दिल दुखाने से डर रही हूं मैं, लफ्ज का पर कतर रही हूं मैं, दूर परदेश में जाकर समझ में आया मां, तेरी बाहों में जन्नत का मजा आता था......"। अमरोहा के निकहत अमरोही "मसला कौन था, कौन सी मजबूरी थी, भाई बैठे के बहन के घर से अकेली निकली.....। यूपी के दिल खैराबादी "सच बोलने का टकराव बनेगा, दुनिया की निगाहों में गुनाहगार बनेगा, राजा की हवेली नहीं मजदूर का घर है, मजदूरों का छप्पर सौ बार उजाडौगें, तो सौ बार बनेगा...."। बलरामपुर के सबा बलरामपुरी ले कहीं की "मुश्किल बहुत था, यू तो बगावत का फैसला, लेकिन तुम्हारे प्यार में मजबूर हो गये, लो आज जंग हमने मोहब्बत की जीत ली, हम उनको और वह हमें मंजूर हो गयी...."। प्रतापगढ़ के शहजादा कलीम, मेरठ की दानिश गजल आदि मेहमान शायर को माइक पर दावत देने के उपरांत मुशायरा परवान चढ़ा।
अनुमंडल सहित सहरसा प्रमंडल के मुशायरे के इतिहास में पहाड़पुर का मुशायरा यादगार अक्षरों में कैद हो गया। यह एक ऐसा मुशायरा था जिसे लोग लंबे समय तक भुला नहीं पाएंगे। इस अवसर पर ऑल इंडिया मुशायरा सह कवि सम्मेलन के अध्यक्ष गुलाम मो• कौसर, सचिव मोहम्मद खुर्शीद चुन्ना, उपाध्यक्ष कौसर अशरफ आदि ने मुशायरे में सक्रिय भूमिका निभाई। मुख्य अतिथि डिप्टी कलेक्टर संजय सिंह एडीएम अशरफ जमाल, एम एस एस फतेह हेल्थ सोसायटी कटिहार कि जिला अध्यक्षा तनुजा रसीद, केसर सिंह, मरहबा अपार्टमेंट अलीगढ़ से अब्दुल तौव्वाब, अब्दुल बासित, मो• सालिम, पूर्व प्रधानाध्यापक मो• मुस्तकीम, अकबर लट्टू , मो• सालिम, अनवर, अबू जफर, अबूजर, अशरफ अली, अम्मार आलम, मो• नासिर नसर आलम, मो• हुसैन, बुक वर्ल्ड रंजन सिंह,हाजी अबुल कासिम, विपिन भगत, सऊद आलम, महबूब आलम, प्रसून सिंह, वजी अहमद तसोबुर, आदि सहित अन्य महिलाओं व पुरूषों सहित लाखों लोगो ने भाग लिया।